बिहार की उड़नपरी कहलाने वाली राष्ट्रीय एथलीट एवं सूबे की राजधानी पटना के सीआईडी विभाग में कार्यरत कोसी की बेटी गीतांजलि की स्मृति में पांचवी बार आयोजित गीतांजलि स्मृति रोड रेस में भाग ले रहे सौ धावकों को समाजसेवी साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी, प्रभारी एसपी वसी अहमद, एसडीएम वृंदा लाल एवं उप प्रमुख जयकांत यादव ने सम्मिलित रूप से हरी झंडी दिखाकर कार्यक्रम का श्रीगणेश किया। मालूम हो कि बिहार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों मेडल जीतने वाली धाविका गीतांजलि की असामयिक मृत्यु 6 अगस्त 2013 को पटना के कुर्जी हॉस्पिटल में हो गई थी।
बता दें कि गीतांजलि की स्मृति में लगभग 5 किलोमीटर का यह मैराथन दौड़ साहुगढ़ दुर्गा स्थान के मैदान से मधेपुरा भूपेन्द्र चौक के बीच खेल प्रशिक्षक संत कुमार की सतर्कता एवं सुरक्षा व्यवस्थानुरूप आयोजित की गई थी। लड़कियों के लिए खेदन बाबा चौक से ही यह दौड़ शुरू की गई । भले ही लड़कियों की संख्या इस बार कम थी परंतु ये जज्बाती धाविकाएं गीतांजलि को कभी मरने नहीं देंगी…..। इतनी लंबी दौड़ पूरी कर समस्त धावक-धाविकाओं ने गीतांजलि को श्रद्धांजलि दी और वे सभी गीतांजलि फाउंडेशन की ओर से पुरस्कृत भी हुए।

यह भी जानिए की गीतांजलि रोड रेस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया समस्त सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों को तत्परता के साथ संपन्न करने/कराने में लगे रहने वाले मधेपुरा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने। आगे डॉ.मधेपुरी ने सर्वप्रथम गीतांजलि की तस्वीर पर पुष्पांजलि किया तथा उपस्थित धावक-धाविकाओं व गणमान्यों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज उसी को याद करता है जो अखंड जुनून के साथ समर्पित होकर समाज व राष्ट्र को कुछ देता है……. आज यदि गीतांजलि जीवित रही होती तो निश्चय ही वह ओलंपिक की उड़ान भर रही होती…. । डॉ.मधेपुरी ने अंत में यही कहा कि मधेपुरा के एथलीट गीतांजलि की राह चलें और भारतरत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की तरह अभाव में रहकर भी बड़े-बड़े सपने देखें……।
मौके पर इस कार्यक्रम की रीढ़ पृथ्वीराज यदुवंशी सहित जिला कबड्डी संघ के अध्यक्ष व उप प्रमुख जयकांत यादव एवं डॉ.आलोक कुमार द्वारा उद्गार व्यक्त किया गया और इनके अलावा सुशील कुमार, संजीव कुमार, नंद कुमार, अमरेश कुमार, समीक्षा यदुवंशी, मनीष कुमार, अमित कुमार, दिलखुश आनंद आदि द्वारा सर्वाधिक धावकों को घड़ी-जर्सी आदि देकर पुरस्कृत किया गया। उद्घाटनकर्ता डॉ.मधेपुरी ने प्रथम स्थान पाने वाले धावक एवं धाविका सहित खेल प्रशिक्षक संत कुमार को पुरस्कार देकर मान ही नहीं किया बल्कि सहृदय होकर उन्हें सर्वाधिक सम्मान भी दिया। अंत में खेल के प्रति संत कुमार के समर्पण को देखकर डॉ.मधेपुरी ने मधेपुरा के समस्त खेल-प्रेमियों से अनुरोध किया कि वे आज से ही उन्हें ‘खेल गुरु’ कह कर सम्मानित करते रहेंगे…… जिसे गगनभेदी करतल ध्वनि के साथ सहमति प्रदान की गई।