सामाजिक न्याय के वैज्ञानिक बी.पी.मंडल का जन्म सौ साल पूर्व 25 अगस्त 1918 को कबीर की नगरी काशी में हुआ था। 100वें सालगिरह पर जन्मोत्सव का आगाज़ 9 अगस्त यानि क्रांति दिवस के दिन से ही करने का निर्णय लिया गया है। तैयारी समिति ने निर्णय लिया है कि भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी की अध्यक्षता में बी.पी.मंडल जन्म शताब्दी समारोह का शुभारंभ दिन के 1:45 बजेे अपराह्न से किया जाएगा।
बता दें कि कार्यक्रम का श्रीगणेश ‘मंडल गीत’ एवं सृजन दर्पण द्वारा “मंडल मसीहा की आवाज” नाटक की प्रस्तुति द्वारा किया जाएगा….। तैयारी समिति में मंडल विचार के प्रधान संपादक प्रो.श्यामल किशोर यादव, डॉ.अमोल राय, डॉ.आलोक कुमार, डॉ.भागवत प्रसाद यादव सहित संयोजनकर्ता पीजी भौतिकी के डॉ.विमल सागर आदि गणमान्यों की उपस्थिति देखी गई। अध्यक्षता कर रहे डॉ.मधेपुरी ने अपने संबोधन में कहा-
बी.पी.मंडल कुल 632 दिनों तक कश्मीर से कन्याकुमारी एवं राजस्थान से बंगाल की खाड़ी तक घड़ी की सूई की तरह चलते रहे….. और उन्होंने सभी धर्मों एवं सभी वर्णों के 3743 जातियों की पहचान की जो सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों में आते हैं, जिनकी संख्या उन दिनों भारत की कुल जनसंख्या का करीब 52% हुआ करता था। परंतु, सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण सीमा 50% दिए जाने के सुझाव के तहत मंडल कमीशन ने इन समस्त 3743 जातियों (जिनमें ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ….. आदि भी हैं) के लिए 27% आरक्षण देने की अनुशंसा की थी।
डॉ मधेपुरी ने आगे कहा कि मंडल रिपोर्ट को लागू करने हेतु ढेर सारी कुर्बानियां दी गईं । प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह कैबिनेट ने अपनी कुर्सियाँ गंवा दी और शरद-लालू-नीतीश, रामविलास-रंजन-रमई…….. सहित बहुतों ने अपना सुख-चैन गँवा दिया, फिर भी मंडल रिपोर्ट हु-ब-हू लागू नहीं किया जा सका। शरद यादव का ‘मंडल-रथ’ भी देश के विभिन्न हिस्सों से गुजरता हुआ अंततः क्रीमी लेयर के कीचड़ में फंस ही गया।
आगे डाॅ.मधेपुरी ने विनम्रता पूर्वक समाजवादी चिंतक मधुलिमये को उद्धृत करते हुए कहा कि संविधान के प्रावधानों में लुक-छिपकर संशोधन करना बिल्कुल गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट को संविधान में संशोधन करने का काम अपने ऊपर नहीं लेना चाहिए।
अंत में मंडल की लौ को धीमी होने पर चिंता व्यक्त करने के बाद डॉ.मधेपुरी ने इस बाबत हाल ही में मधेपुरा आये पूर्व सांसद डॉ.रंजन प्रसाद यादव एवं उच्च शिक्षा के पूर्व निदेशक डॉ.विद्यासागर यादव की चर्चा करते हुए यही कहा-
मेरे सीने में नहीं, तेरे ही सीने में सही……
हो जहाँ भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए !!