बिहार के मुख्यमंत्री व जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार रविवार को दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव समेत विभिन्न मुद्दों पर अपनी पार्टी की स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं। भाजपा के साथ संबंधों में तनाव की खबरों के बीच नीतीश ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले शनिवार को पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक की।
जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक रविवार की सुबह 10 बजे से जंतर-मंतर स्थित पार्टी मुख्यालय में होनी है। नीतीश कुमार के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ये पहली बैठक है। पार्टी की इस बैठक को हालिया राजनीतिक परिदृश्य के संदर्भ में काफी अहम माना जा रहा है।
2019 में तय लोकसभा चुनाव और 2020 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जदयू के कई नेताओं ने एनडीए में अपनी पहले की प्रभावशाली स्थिति बहाल करने की मांग की है, जैसा 2013 में गठबंधन से नाता तोड़ने से पहले तक उसका प्रभाव था। उधर 2014 के लोकसभा चुनावों में मिली बड़ी सफलता के बाद बिहार में भाजपा स्वयं को पहले से बेहतर स्थिति में पा रही है और बदले हुए परिदृश्य में वह जदयू को बड़ी पार्टी का दर्जा नहीं मिलने देना चाहेगी।
राजनीतिक गलियारे में खबर है कि नीतीश 2019 में 15 लोकसभा सीटें हासिल करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। बता दें कि 2014 के आम चुनावों में बीजेपी ने राज्य में 40 लोकसभा सीटों में से 22 पर जीत हासिल की थी और उसके गठबंधन सहयोगियों एलजेपी और आरएलएसपी ने क्रमश: 6 और 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जेडीयू तब केवल 2 सीटें जीत सकी थी।
बहरहाल, जदयू की इस महत्वपूर्ण बैठक के बाद भविष्य की राजनीति पर उसका रुख सामने आएगा। यह भी खबर है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बिहार दौरे पर आ रहे हैं और सीट शेयरिंग के मुद्दे पर उनकी और नीतीश की मुलाकात होनी है। उससे ठीक पहले हो रही इस बैठक के बाद दोनों पक्षों की ओर से हो रही अनावश्यक बयानबाजी का सिलसिला भी थम जाना चाहिए। आगे जो भी हो, राजनीतिक परिस्थिति और समझदारी का तकाजा है कि दोनों पक्षों को अपने-अपने अहं से ऊपर उठकर सीटों को लेकर कोई सम्मानजनक हल निकाल लेना चाहिए। महागठबंधन की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए इससे बेहतर कोई और विकल्प दोनों दलों के पास है भी नहीं।