Sargam Band

क्या आपने कभी महिलाओं को बैंड बजाते देखा है?

क्या आपने कभी महिलाओं को बैंड बजाते देखा है? नहीं ना? वैसे भी ये काम परंपरागत तौर पर पुरुषों का माना जाता है। लेकिन जब परिवर्तन की बयार चल रही हो तो रूढ़ियां टूटती हैं और कुछ ऐसा होता है कि दुनिया दांतों तले ऊँगली दबा ले। जी हाँ, कुछ ऐसा ही हुआ है बिहार की  राजधानी पटना के बाहरी हिस्से के एक छोटे से गांव में जहां महिलाओं के एक समूह ने एक संगीत बैंड बनाया है। आप और अधिक चौंकेंगें जब जानेंगे कि ये सभी महिलाएं दलित समुदाय से आती हैं। आज यह बैंड सारी सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ रहा है। ये महिलाएं शादी समारोह में देर रात तक बाहर रहकर बैंड बजाती हैं और न केवल अपने घर बल्कि पूरे समाज के लिए उदाहरण बनकर सामने हैं।

गौरतलब है कि यह बैंड पटना के दानापुर में धिबरा गांव की 10 महिलाओं ने बैंड बनाया है। इस बैंड का नाम उन लोगों ने ‘सरगम बैंड’ रखा है। बैंड की सभी महिलाओं की उम्र लगभग 30 साल है। वे शादी एवं अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों में शिरकत करती हैं। बता दें कि इस बेहद खास बैंड की अगुआई ‘नारी गूंज’ नाम के एनजीओ की संचालक सुधा वर्गीस कर रही हैं। वे गदगद होकर कहती हैं कि रविदास समुदाय की ये महिलाएं खुद के लिए विशिष्ट पहचान तैयार करने में लगी हैं। बैंड की महिलाएं सुधा को सुधा दीदी कहकर बुलाती हैं।

बकौल सुधा 2016 में वह रविदास समुदाय की महिलाओं के साथ काम कर रही थीं उसी दौरान उन्हें यह आइडिया आया। उनके समुदाय में अधिकांश महिलाएं या तो खेतों में काम करती हैं या मजदूरी करती हैं। जब उन्होंने धिबरी की महिलाओं के साथ अपने विचार साझा किए तब शुरुआत में अविश्वास के रूप में प्रतिक्रिया सामने आयी। यह अस्वाभाविक नहीं था। किसी ने भी यहां महिलाओं के संगीत बैंड के बारे में नहीं सुना था। जो काम उन्हें करने के लिए कहा जा रहा था वह पुरूषों का काम माना जाता है। बहरहाल, काफी काउंसलिंग के बाद कुछ महिलाएं राजी हुईं और वे सुधा के साथ आ गईं।

आज उन महिलाओं के एक सकारात्मक और साहस भरे कदम ने इतिहास रच दिया है। अब तो वे दूर-दूर जाकर भी बैंड बजाती हैं। देश और दुनिया के लिए महिला सशक्तिकरण का अनोखा मिसाल पेश कर रही बिहार की इन महिलाओं को हमारा सलाम।

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