Dr. Madhepuri greetings Eid .

मधेपुरा में हर्षोल्लास के साथ मनायी गई ईद

ईद एक अनूठा त्योहार है | यह किसी भी रूप में दुनियावी तौर-तरीकों से जुड़ा नहीं है | ईद एक पूर्ण अध्यात्मिक महत्व का पर्व है | यह ऐसा अदभुत पर्व है जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह से यही इबादत करते हैं कि अल्लाहताला उन्हें आंतरिक ऊर्जा दे, शक्ति दे ताकि रमजान के पूरे महीने तक लोग उनकी इबादत करते रहें और अल्लाह के आदेशों को सिर आँखों पर रखें |

मधेपुरा में भी ईद का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया | सुबह से ही लोग मधेपुरा ईदगाह में जमा होने लगे | ईद के नवाज के बाद सभी एक-दूसरे से गले मिले, ईद मुबारक कहने लगे | क्या बच्चे ! क्या बूढ़े !! महिलायें भी खुशियों से घरों में झूम उठीं | उन्हें खुशियाँ इस बात की नहीं होती कि रमजान का महीना आज समाप्त हो गया बल्कि खुशियाँ इस बात की होती है कि पूरे महीने नियम के साथ इबादत पूरी कर ली |

Eid at Madhepura
Eid at Madhepura

खुशियों के ऐन मौके पर भारतरत्न डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम की तरह गीता और कुरआन में समभाव रखनेवाले गाँधी-लोहिया-जयप्रकाश एवं भूपेन्द्र-भीम-कर्पूरी के शिष्यों में से मधेपुरा के सर्वाधिक शिष्यों ने आज दिल से दिल मिलाकर ईद मिलन किया | यूँ प्रत्येक वर्ष सांसद से लेकर विधायक तक, विधान परिषद से लेकर जिला परिषद व नगर परिषद सदस्य तक सदा ईद मिलन करते आ रहे हैं और आगे भी करते ही रहेंगे | लेकिन डॉ. मधेपुरी द्वारा मिलने का क्रिया-कलाप तो अद्वितीय  है, अदभुत है | यह भी जानें कि डॉ कलाम का उनपर अदभुत असर भी तो है | उनकी बातों को डॉ. मधेपुरी अपने ह्रदय में हमेशा प्रकाशवान बनाये रखते हैं | वह बात यही है – “ये आँखें दुनिया को दुबारा देख नहीं सकती , इसलिए तुम्हारे अन्दर जो बेहतरीन है वह दुनिया को देकर जाना | ”

रमजान से कुछ दिन पहले की बात है | डॉ. मधेपुरी अपने घनिष्ठ मित्र डॉ.शमशाद के प्रोस्टेट ऑपरेशन के दरमियान उन्हें देखने पटना पहुँच गये | खैरियत जानकर वापस आये ही थे कि चन्द दिनों के बाद ही वे गुजर गये | उनके जनाजे को मस्जित में उठाते वक़्त कन्धा देकर डॉ.मधेपुरी कब्रगाह तक गये | वहाँ घंटों ठहरे और अंतिम दर्शन भी किये | अन्त में मिट्टी देने के वक्त उनके नैयनों से आंसू भी टपक पड़े |

Dr Madhepuri greets at Eidgaah .
Dr Madhepuri greets at Eidgaah .

और आज रमजान के अंत में ईद के दिन ईदगाह जाकर अपने दूसरे मित्रों एवं दोस्त मोहम्मद यूनुस से गले मिलकर ईद मुबारक किया और अन्त में अपने पैतृक संस्था टी.पी.कालेज के अवकाश प्राप्त आदेशपाल हाजी मनीरुद्दीन से भी खलुस हृदय से गले मिलकर खूब ईद मुबारक किया तथा आजू-बाजू में खड़े ईद मिलन करनेवालों से यही कहा –

होली ईद मनाओ मिलकर, कभी रंग को भंग करो मत !

भारत की सुन्दरतम छवि को अरे बन्धु बदरंग करो मत !!

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