सारे रास्ते बंद, अब बंगला खाली करेंगे शरद

वरिष्ठ नेता शरद यादव अपनी राज्यसभा सदस्यता को लेकर हारी हुई लड़ाई लड़ रहे थे, ये लगभग सबको पता था। क्यों लड़ रहे थे, कई प्रश्नचिह्नों के साथ ही सही, यह भी सब जानते हैं। खैर, होनी को टालने की जितनी कोशिश की जा सकती थी, वो सारी कोशिशें की गईं, पर जो होना चाहिए था, वही हुआ। राज्य सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित शरद यादव को अंतत: सुप्रीम कोर्ट से भी निराशा हाथ लगी और ना केवल उन्हें मिल रहे वेतन और भत्ते पर रोक लग गई, बल्कि अब सरकारी बंगला भी उन्हें खाली करना होगा।

जी हाँ, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान तकनीकी तौर पर यह आदेश दिया है कि न्यायालय अपने स्तर पर आवास खाली किए जाने को लेकर कोई निर्देश जारी नहीं करेगा पर इस मसले को उस स्तर पर देखा जाएगा जो इसके लिए जवाबदेह है। इसका सीधा अर्थ यह है कि इस विषय को राज्यसभा के सभापति के स्तर पर देखा जाएगा। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट तौर पर लिखा है कि इस मामले में जो ऑथिरिटी है, वह कानून के हिसाब से पूरी कार्रवाई करें।

गौरतलब है कि विगत चार दिसंबर को शरद यादव को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। शरद यादव ने अपने को अयोग्य घोषित किए जाने के इस निर्णय को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दे रखी है। उनके वकील ने इसी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि हाईकोर्ट में उनकी जो याचिका लंबित है उसके निपटारे तक उन्हें राज्य सभा सदस्य के रूप में आवंटित बंगले में रहने दिया जाए। पर उन्हें निराशा हाथ लगी।

बहरहाल, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी करते हुए शरद यादव के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को संशोधित कर दिया, जिसमें कहा गया था कि जब तक उनकी याचिका हाई कोर्ट में लंबित है तब तक उनके वेतन- भत्ते को बंद नहीं किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने वेतन व भत्ते पर तो साफ शब्दों में रोक लगाई ही, बंगले को लेकर भी कानूनी कार्रवाई का निर्देश दे दिया। चलते-चलते बता दें कि जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा में जदयू संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह ने उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश को चुनौती देते सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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