आज 29 मई है ! वर्ष 2018 और दिन मंगलवार ! प्रखर समाजवादी, संत राजनीतिज्ञ एवं सुलझे सोच के नेक इंसान भूपेन्द्र नारायण मंडल की 44वीं पुण्यतिथि !
समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी को इस समाजवादी सोच वाले महामानव के संग साया की तरह साथ रहने का अवसर खूब मिला | उस मनीषी के साथ डॉ.मधेपुरी बैलगाड़ी से रेलगाड़ी और सड़क से संसद तक निरंतर आते-जाते रहे….|
राज्यसभा सदस्य रहते हुए…. उनके निधन (29 मई 1975) के बाद देश जब ‘आपातकाल’ सरीखे उन्मत परिस्थितियों से गुजर रहा था तब जाकर डाॅ.मधेपुरी ने उस विकट परिस्थिति में उस मनीषी के नाम मधेपुरा में जनसहयोग से एक कॉलेज (भू.ना.मंडल वाणिज्य महाविद्यालय) का निर्माण कराया, जननायक कर्पूरी ठाकुर को मधेपुरा लाकर उस मनीषी की अंतिम इच्छा की पूर्ति की और तत्कालीन कॉलेज चौक (अब भूपेन्द्र चौक) पर जन सहयोग से उनकी प्रतिमा लगाई और 1991 में उनकी प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर त्रिमूर्ति लालू-शरद-नीतीश से अनुनय-विनय कर उसी दिन जन आकांक्षा के अनुरूप उनके नाम (भू.ना.मंडल) विश्वविद्यालय की घोषणा भी कराई…..|
बता दें कि अपरिहार्य कारणवश आज मधेपुरा से बाहर होने के कारण डॉ.मधेपुरी मधेपुरा के भूपेन्द्र चौक पर निर्मित मनीषी भूपेन्द्र की प्रतिमा पर पुष्पांजलि नहीं कर सकेंगे | इसलिए उन्होंने राजधानी पटना में ही उनके तैल-चित्र पर पुष्पांजलि करते हुए श्रद्धा के चन्द शब्दों के माध्यम से ‘श्रद्धांजलि’ अर्पित की है |
मनीषी भूपेन्द्र !
समाजवादी चिन्तक !!
समाजवादियों के प्रेरणा स्रोत !!!
तुम आये यहाँ-
माटी का पूत बनकर
वंचितो-अछूतों का दूत बनकर
तुम आये यहाँ-
विकट परिस्थितियों में
उन्मत झंझावातों में
आंधी और तूफानों में
परंतु,
बिना रूके, बिना झुके, अविचलित रहकर
बेकशों के संसार को सजाते रहे जीवन भर
सखा और सहयोगी रहकर
बोलो, तुम कहाँ नहीं रहे-
बुद्ध, नानक व कबीर के विचारों-व्यवहारों से लेकर
मार्क्स, गांधी और सोशलिज्म के संस्कारों तक
तुझे क्या कहकर पुकारूँ मैं-
इस धरती का सपूत !
कोई फरिश्ता…… या फिर कोई अग्रदूत !!
चलो, तुझे मसीहा ही मान लेता हूँ
और तुम्हारे श्री चरणों में करता हूँ समर्पित
अपनी चार पंक्तियाँ
‘श्रद्धांजलि’ स्वरुप-
धन आदमी की नींद को हर पल हराम करता,
जो बाँटता दिल खोल उसे युग सलाम करता !
मरने के बाद मसीहा बनता वही मधेपुरी
जो जिंदगी में अपना सबकुछ नीलाम करता !!