फिलहाल बिहार के पाँच जिलों में प्रयोग के तौर पर ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि प्रत्येक 20 मिनट पर मौसम का डाटा चला जायेगा ISRO के पास | जिससे किसानों को मौसम की सही जानकारियाँ दी जाती रहेंगी और यदाकदा फसल की क्षति का मुआवजा देने में सरकार को भी आसानी होगी |
बता दें कि इन पाँचो जिले में खोले गये मौसम केंद्रों के सफल होने पर राज्य के 38 जिले के कुल 534 प्रखंडों एवं 8391 पंचायतों में भी इसका विस्तार किया जाएगा, क्योंकि राज्य के अधिकतर भागों में खेतीबारी पूर्णत: मौसम पर ही आधारित है | लिहाजा मौसम की सही जानकारियाँ नहीं रहने के कारण किसानों को सर्वाधिक परेशानी झेलनी पड़ती है |
यह भी जान लें कि गत वर्ष कोसी प्रमंडल के सुपौल जिला सहित नालंदा एवं पूर्वी चम्पारण के सभी प्रखंडों में ‘ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन’ एवं इन जिलों के सभी पंचायतों में ‘टेलीमैट्रिक रेनगेज’ की स्थापना हेतु स्वीकृति दी गई थी | चालू वर्ष में अरवल एवं गया जिले को भी इस व्यवस्था में जोड़ा गया है | सफलता मिलते ही शीघ्र ही सभी जिलों में इसका विस्तार कर लिया जाएगा |
यह भी बता दें कि कभी-कभी एक ही प्रखंड के कुछ पंचायतों में वर्षा की कमी हो जाती है और कुछ में अधिकता…….| फलस्वरूप क्लोज मॉनिटरिंग नहीं हो पाने के कारण वर्षा की कमी वाले पंचायतों के किसानों को भी मुआवजा नहीं मिल पाता है, क्योंकि सरकार के पास इसका सही-सही रिकॉर्ड नहीं होता | इस कठिनाई को दूर करने हेतु सरकार द्वारा सभी पंचायतों में ‘टेलीमैट्रिक रेनगेज’ लगाने का फैसला लिया गया है |
चलते-चलते यह भी जान लें कि उपलब्ध सारी जानकारियाँ सिस्टम द्वारा स्वतः ISRO को प्रत्येक 20 मिनट पर प्रेषित होता रहेगा और ISRO के डाटा विश्लेषण के आधार पर सरकार को अद्यतन जानकारियाँ मिलती रहेंगी और किसानों को नमी, तापमान एवं हवा की गति व दिशा की सही-सही जानकारीयाँ भी प्राप्त होती रहेंगी |