बेटी बने स्वाभिमान बाप का, उस बेटी की जय हो !

भारतीय रेल की सवारी गाड़ी में ‘महिला डिब्बा’ को प्रायः पुरुष यात्रियों द्वारा ही कब्जा कर लिया जाता है | जब महिला यात्रीगण आती हैं तब भी पुरुष यात्रियों द्वारा जगह खाली नहीं किये जाते हैं | नतीजतन दर्जनों महिला यात्री ट्रेन पर सवार होने से वंचित रह जाती हैं | तुर्रा तो यह है कि पूर्व में महिलाओं के लिए सुरक्षित डिब्बे पर केवल ‘महिला’ अथवा ‘महिला डिब्बा’ ही अंकित कर देने से काम चल जाता था परंतु आज-कल तो “महिला डिब्बा, पुरुष प्रवेश निषेध” तक लिख डालने पर भी बात बनती नहीं है |

बता दें कि सूबे की राजधानी पटना में ही पटना-गया रेलखंड पर चलनेवाली सवारी रेलगाड़ी में कामकाजी महिलाओं के साथ-साथ गृहणियों का भी पटना आना-जाना लगा रहता है | मंगलवार को नदवां स्टेशन पर महिला के लिए आरक्षित डिब्बे पर “महिला डब्बा, पुरुष प्रवेश निषेध” अंकित रहने के बावजूद भी पुरुषों द्वारा पूरे डब्बे को दखल कर लिए जाने पर महिला यात्रियों ने पहले तो अनुरोध किया और नहीं मानने पर किया जमकर हंगामा | हंगामे के बावजूद भी पुरुष यात्रीयों ने बॉगी खाली करने का नाम नहीं लिया तो बातें आरपीएफ इंस्पेक्टर राकेश रंजन तक चली गई |

जानिए कि नदवां स्टेशन पर महिला बॉगी में चढ़ने के लिए जद्दोजहद करती महिला यात्रियों की दशा देखकर इंस्पेक्टर ने यही कहा कि जागरूकता के अभाव में पुरुष यात्रीगण महिला बॉगी में सवार हो जाते हैं | कई बार अनेक स्टेशनों पर पुलिस द्वारा कार्यवाई कर महिला बॉगी से पुरुष यात्रियों को बाहर निकाला व उतारा जाता रहा है | यहाँ तो प्रवचनकर्ता रविशंकर की वाणी-

“बेटा बने सरताज बाप का, उस बेटे की जय हो” जहाँ प्रभावहीन हो रही है वहीं “बेटी बने स्वाभिमान बाप का, उस बेटी की जय हो” कारगर सिद्ध हो रही है | अब बेटियां हवाई जहाज उड़ाने के साथ-साथ हक की खातिर हंगामा करने से भी बाज नहीं आ रही है |

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