ब्रिटेन के ब्रिस्टल शहर में आर्नोस वेल का बहुत पुराना कब्रिस्तान है । यहां सौ-दो साल से अपरिचित कब्रगाहों के बीच उस शख़्स की कब्र है जिन्हें भारत का प्रथम आधुनिक पुरुष कहा जाता है । वो कोई और नहीं ब्रह्म समाज संस्थापक राजा राम मोहन राय हैं ।
एक ब्राह्मण का कब्र वो भी इंग्लैंड में ! बात गुजरे ज़माने की है जब मुगलिया सल्तनत हिन्दुस्तान में अपने आखिरी दिन गिन रहा था । तब के मुग़ल बादशाह थे अक़बर द्वितीय जिन्होंने राजा राम मोहन राय को अपनी आर्थिक मदद की फ़रियाद लगाने के लिए इंग्लैंड भेजा था । वे वहां के राजा से मिले इसलिए उन्हें राजा का ख़िताब दिया गया । इसी बीच उनकी तबियत बिगड़ गयी और 27 सितंबर 1833 में 61 साल की उम्र में राजा राममोहन राय का देहांत हो गया , उस वक़्त इंग्लैंड में दाह-संस्कार की अनुमति नहीं थी । इसलिए उन्हें दफ़्न किया गया ।
यूँ तो आधुनिकता के इस दौर में हर कोई आधूनिकिकरण के चपेट में आ गया है । पर सच्चे अर्थों में भारत की आधुनिकता को परिभाषित किया राजा राम मोहन राय ने । राजा राम मोहन राय का जन्म आज के ही दिन 22 मई, 1772 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के राधानगर में हुआ था। उन्होंने भारत की सदियों से चली आ रही रुढ़िवादी सोच पर प्रहार किया और अंग्रेजों के साथ मिलकर भारत में अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार व प्रसार किया ।
करीब 200 साल पहले जब समाज में सती प्रथा जोरों पर थी, तब राजा राम मोहन राय ने इसे जड़ से खत्म करने में सबसे अहम भूमिका अदा किया। उन्होंने सती प्रथा का कड़ा विरोध किया। उन्होंने महिलाओं के लिए समान अधिकारों के लिए मुहिम चलाई और विधवा विवाह व संपत्ति के हक के लिए भी लोगों को जागरूक किया। 1828 में उन्होंने ब्रह्म समाज की स्थापना की। इसे भारत का पहला सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन कहा जाता है। राजा राममोहन राय मूर्तिपूजा और रूढ़िवादी हिन्दू परंपराओं के विरुद्ध थे । वे अंधविश्वास के खिलाफ थे । आज इस विशेष दिन पर मधेपुरा अबतक इस आधुनिक पुरुष को नमन करता है |