आयुष्मती किरण कुमारी के संग चिरंजीव सचिन कुमार सादा की शादी हुई विगत सप्ताह | मधेपुरा जिले के सिगिऔन गांव की बेटी किरण (सुपुत्री-पानो देवी व युगेश्वर ऋषिदेव) के साथ सुपौल जिले के कटैया गांव के बेटे सचिन कुमार सादा (सुपुत्र-दुलारी देवी व सूर्यनारायण सादा) का पाणिग्रहण आजू-बाजू के गांवों के सभी जाति-बिरादरी के नर-नारियों, बच्चे एवं बूढ़ों की उपस्थिति में सिगिऔन के रुकमा देवी ठाकुरबाडी मंदिर में संपन्न हुआ |
बता दें कि मंदिर के संस्थापक व पूर्व प्राचार्य सह कुलानुशासक (बी.एन.एम.यू.) डॉ.शिवनारायण यादव सरीखे इस शादी के सूत्रधार की देख-रेख में स्वागत संबंधी छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा गया । दो साधारण ऋषिदेव कुल की शादी इतनी संपन्नता के साथ होते देख समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने उपस्थित समाज को संदेश देने के क्रम में उस विशाल भीड़ को माईक के सहारे संबोधित करते हुए कहा-
कोसी अंचल के समाजवादी चिंतक द्वय मनीषी भूपेन्द्र नारायण मंडल एवं अंबिका दादा प्रायः मेरे समक्ष इस बात की चर्चा किया करते कि दलितों में खासकर ऋषिदेव (यानि मुशहर) अबतक जग क्यों नहीं रहा है, आगे बढ़ क्यों नहीं रहा है और पढ़ क्यों नहीं रहा है ? आज ये दोनों जन इस नजारे को ऊपर से देखकर शिवनारायण बाबू को शुभाशीष देते होंगे |
यह जानिए कि उपस्थित नर-नारियों एवं शिव परिवार के सदस्यों की खुशियों को देख-देख कर अभिभूत हुए डॉ.मधेपुरी ने डॉ.अरुण कुमार, डॉ.सुरेश प्रसाद यादव एवं मो.मिराज सहित उपस्थित जनसमूह के समक्ष यह खुलासा किया कि मैंने भी इस शादी में सहयोग करने की चर्चा की थी, परंतु बिना किसी से आर्थिक सहयोग स्वीकार किए डॉ.शिवनारायण ने अपनी पुत्री की शादी की तरह किरण की शादी में जो कुछ किया वह ग्रामीणों द्वारा स्मरण किया जाता रहेगा |
बता दें कि यह किरण डॉ.शिवनारायण यादव की धर्मपत्नी सत्यभामा देवी की सेवा सर्वाधिक मनोयोग से करती रही | जब सत्यभामा देवी कैंसर से पीड़ित हुई तो सिगिऔन से मधेपुरा, सहरसा-पटना और मुंबई तक किरण सेवारत रही | अंतिम सांस लेते समय सत्यभामा ने अपने पति डॉ.शिवनारायण बाबू से यही कहा कि जिस तरह अपनी बेटियों की शादी हुई थी उसी तरह किरण की भी शादी होगी तो मेरी आत्मा को शांति मिलेगी……….!
जानिए कि धर्मपत्नी सत्यभामा की बातों को निभाने और अंततः सच साबित करने में लगे डॉ.शिवनारायण यादव और मामाश्री डॉ.मधेपुरी भी उन्हें हर कदम पर सहयोग करने के लिए आश्वस्त करते रहे और उपस्थित वर-वधु के पक्ष के ऋषिदेवों को बारंबार यही कहते रहे- आप जगिए, आगे बढ़िए और बच्चों को पढ़ाइए व पढ़ने दीजिए….!