नीतीश सरकार द्वारा 27 अप्रैल (शुक्रवार) की आधी-रात को प्रदेश के लगभग 4 दर्जन IAS व अन्य के किये गये फेरबदल से नौकरशाही में जहाँ एक ओर खलबली मच गई वहीं दूसरी ओर मधेपुरा के डायनेमिक डीएम मो.सोहैल 28 अप्रैल (शनिवार) को अपने कोर्ट में मुकदमों के बाबत कुछ सीनियर एडवोकेट्स की बहस सुनकर उठने से पहले भरे कोर्ट में कहते हैं कि अब आगे दूसरे डीएम साब आपको सुनेंगे, मेरा ट्रांसफर मुजफ्फरपुर हो गया है इंटरनेट से मुझे जानकारी मिल गई है |
बता दें कि 15 मिनट के अंदर ही डीडीसी मुकेश कुमार को चार्ज देकर तथा सामान ब्रीफ़केश में डाल मो.सोहैल सहरसा पहुँच जाते हैं और ट्रेन में बैठकर चल देते हैं- मुजफ्फरपुर को स्मार्टसिटी बनाने |
यह भी जानिये कि मधेपुरा जिले में अमन-शांति एवं विकास की गंगा बहाने वाले मो.सोहैल जान को जोखिम में डालकर बाढ़ में आलमनगर के नर-नारियों के बीच रातें बिताकर 24 घंटे के अंदर कोलकाता से प्लेन से प्लास्टिक-त्रिपाल व अन्य आवश्यक सामग्रियाँ मंगाकर बेपटरी हुए जनजीवन को जहाँ पटरी पर लाते हैं वहीं अकारण संप्रदायिक लपटों में जलने से पहले ही बिहारीगंज और फिर मुरलीगंज को भी बचाते हैं | जनजीवन के लिए जीते रहे, खुद के लिए नहीं |
ऐसे तो सेवाकाल में आना-जाना यानि स्थानांतरण लगा ही रहता है | परंतु, यह जानने की चेष्टा तो करें कि क्या प्रत्येक डीएम के लिए उसका जिला वैसे ही प्राण से प्यारा होता है जैसे मो.सोहैल के लिए तब मधेपुरा और अब मुजफ्फरपुर………… बिल्कुल अद्वितीय…..! अतुल्य……!! और अद्भूत…….!!!