मधेपुरा सदर अस्पताल में विश्व यक्ष्मा दिवस पर दिन भर कार्यक्रम चलता रहा | प्रथम सत्र में सवेरे-सवेरे स्वास्थ्य कर्मियों एवं स्कूली स्काउट एंड गाइड द्वारा जागरूकता रैली निकाली गई | इस रैली को डी.एस. डॉ.शैलेंद्र कुमार गुप्ता, डॉ.अखिलेश कुमार, डॉ.अशोक कुमार, डॉ.फूल कुमार, डी.पी.एम. आलोक कुमार एवं संचारी रोग पदाधिकारी डॉ.हरिनंदन प्रसाद सहित नवनीत चन्द्रा, गौतम कुमार, मो.नसीम अख्तर, तेजेंद्र कुमार आदि की उपस्थिति में सिविल सर्जन डॉ.गदाधर पांडे एवं समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया |
बता दें कि रैली में स्वास्थ्य कर्मियों एवं बैंड-बाजे के साथ तुलसी पब्लिक स्कूल के स्काउट एंड गाइड वाले छात्रों के हाथों में तख्तियों पर लिखे हुए निम्नांकित नारों को भारी संख्या में सड़क किनारे खड़े लोगों द्वारा मोबाइल के कैमरों में कैद करते देखा गया – वे नारे यही हैं……
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दुसरे सत्र में यक्ष्मा कार्यालय के सामने सीएस डॉ.गदाधर पांडे की अध्यक्षता में एक कार्यशाला का वृहद् आयोजन किया गया | इसमें जिले के समस्त आशा कर्मियों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को भी बुलाया गया था | चिकित्सकों के अलावे समाजशास्त्री डॉ.आलोक कुमार, समाजसेवी मो.शौकत अली, विदुषी डॉ.मीनाक्षी वर्मा सहित रंगकर्मी विकास कुमार की पूरी टीम को सर्वप्रथम समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी द्वारा संबोधित करने के क्रम में टी.बी. रोग के इतिहास पर प्रकाश डाला गया |
डॉ.मधेपुरी ने कहा कि यह रोग मनुष्यों में 5000 वर्ष पूर्व से ही चिन्हित किया गया है | आरंभ में इसे ‘क्षय रोग’ तथा बाद में ‘तपेदिक’ कहा जाने लगा | आगे ऋग्वेद में इसे ‘यक्ष्मा’ और अथर्ववेद में ‘बालसा’ कहा गया…… कालांतर में ‘खूनी खांसी’ व ‘पिशाची रोग’ के नाम से भी प्रचलित होता रहा | पहली बार 1839 में जे.एल.स्कर्लिन द्वारा इस बीमारी को T.B. नाम देकर इसे फेफड़े से जुड़ी बीमारी कहा गया | वर्ष 1906 में वैक्सीन बना जिससे आज भी 80% इलाज किया जा रहा है |
सदर अस्पताल के सभी चिकित्सकों सहित समाजशास्त्री डॉ.आलोक कुमार, समाजसेवी मो.शौकत अली, विदुषी डॉ.मीनाक्षी वर्मा आदि ने भी विस्तार से इस रोग के कारण व निवारण की चर्चाएं की | अध्यक्षीय संबोधन में सीएस डॉ.पांडे ने कहा कि भारत की 40% आबादी में टी.बी. के जीवाणु पाये जाते हैं तभी तो प्रतिदिन 1000 लोगों की मृत्यु हो जाती है | उन्होंने कहा कि टीबी की रोकथाम के लिए मुफ्त जांच एवं मुफ्त दवा की व्यवस्था है |
अंत में संचारी रोग पदाधिकारी डॉ.प्रसाद ने कहा कि नियमित दवाखाने से यह रोग पूरी तरह समाप्त हो जाता है | उन्होंने अतिथियों को लाखों रुपए वाली सीबीनेट मशीन भी दिखाई जिससे एक साथ 4 मरीजों को “टी.बी. है या नहीं” की जांच हो जाती है |