मधेपुरा जिले के किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन पर इलेक्ट्रिक रेल इंजन कारखाना बनाने की स्वीकृति तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में मिली थी | फिर मधेपुरा जिले के डायनेमिक डीएम मो.सोहैल के सफल सहयोग एवं डिप्टी चीफ इंजीनियर के.के.भार्गव सहित उच्चाधिकारियों व सभी कनीय पदाधिकारियों के कठिन परिश्रम के चलते यह रेल फैक्ट्री निर्धारित समय से 6 माह पूर्व ही सारा कार्य पूरा कर लिया | फ्रांस की अल्सटॉम कंपनी के सहयोग से तैयार किया गया | 12 हज़ार HP का विद्युत रेल इंजन राष्ट्र को समर्पित होने के लिए भारत के PM मोदी और फ्रांस के प्रेसिडेंट मैक्रॉन का 28 फरवरी से इंतजार कर रहा है |
बता दें कि 28 फरवरी 2018 को उद्घाटन होना था लेकिन मानसी-सहरसा के बीच रेल विद्युतीकरण कार्य अधूरा रहने के कारण उद्घाटन नहीं हो सका | इस बीच रेल फैक्ट्री से दौरम मधेपुरा स्टेशन तक लगभग 2 किलोमीटर की रेल पटरी पर इंजन दौड़ लगाती हुई आई-गई |
यह कि युवाओं द्वारा जहाँ खुशी जाहिर करते हुए नये रेल इंजन के फोटो को कैमरे में कैद किया जाने लगा वहीं इंजन पर ‘मधेपुरा’ लिखा नहीं देखने पर सभी मायूस हो गये | जानिये कि कुछ बोल गये कि दिल्ली से आते समय कहीं इंजन पर गोंडा अंकित देखा तो कहीं ‘गोरखपुर’….. ‘सहारनपुर’ या ‘समस्तीपुर’ भी |
यह भी जानिये कि जिस तरह भारत के विकसित होने की चिंता भारतरत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम को हुआ करती थी उसी तरह डॉ.कलाम के करीबी रह चुके व मधेपुरा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी को इस बात की चिन्ता सता रही है कि मधेपुरा रेल फैक्ट्री में उद्घाटन के लिए रखे गये तैयार दो इलेक्ट्रिक रेल इंजन के किसी कोने में भी ‘मधेपुरा’ क्यों नहीं लिखा गया है |