Samajsevi Dr.Bhupendra Narayan Yadav Madhepuri along with Dr.Naresh Kumar , Prof.Shyamal Kishor Yadav, and others paying homage to Vishwakarma of Education Kirti Narayan Mandal at Parvati College Madhepura.

शिक्षा जगत के विश्वकर्मा रहे हैं कोसी के कीर्ति नारायण

शिक्षा जगत को अपने जीवन की आहुति देने वाले अमर पुरुष कीर्ति नारायण मंडल को कोसी अंचल ही नहीं बल्कि, आने वाले दिनों में, संपूर्ण राष्ट्र उन्हें याद करेगा, नमन करेगा | बिना किसी की बातों पर ध्यान दिये, सूरज की तरह अपने काम में लगे रहना और शिक्षा का दीप जला-जला कर अज्ञानता के अंधकार को मिटाते  रहना ही उस विश्वकर्मा के जीवन का उद्देश्य रहा |

कोसी के सातो जिलों में तीन दर्जन से अधिक महाविद्यालयों की स्थापना करने वाले उस महामना मालवीय कहलाने वाले कीर्ति बाबू की 102वीं जयंती उनकी माता श्री के नाम वाले पार्वती विज्ञान महाविद्यालय परिसर में स्थित उनकी प्रतिमा के समक्ष इप्टा कर्मियों द्वारा 18 मार्च को आयोजित किया गया |

बता दें कि श्रद्धानवत अनुयायियों द्वारा कीर्ति बाबू की प्रतिमा पर पुष्पांजलि करने के बाद उनके मानवीय गुणों को करीब से महसूसने वाले समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.) भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने सर्वप्रथम अध्यक्षता कर रहे डॉ.नरेश कुमार सहित उपस्थित शिक्षकों-छात्रों को संबोधित किया और यही कहा कि कीर्ति बाबु का जीवन महात्मा कबीर जैसा रहा- जो घर जोर आपनों चले हमारे साथ….. से लेकर….. जस की तस धर दीन्ही चदरिया तक जाकर वे दुनिया को अलविदा कह गये |

इप्टा के संरक्षक डॉ.मधेपुरी विस्तार ने उनके साथ बिताये क्षणों की चर्चा करते हुए अपने संबोधन में यही कहा कि कीर्ति बाबू को जानने के लिए राम-कृष्ण, बुद्ध-महावीर, नानक और मालवीय को जानना होगा | स्वाभिमानी व सत्यवादी कीर्ति नारायण मंडल लोगों को अति साधारण दिखते परंतु उनकी क्षमता असाधारण रही है | समाज के लिए जीना-मरना और कल करो सो आज करना- में विश्वास करने के कारण ही उन्होंने कोसी और सीमांचल के ऊसर वन में तीन दर्जन कॉलेजों की स्थापना कर शिक्षा का दीप जलाया |

मुख्य इप्टा संरक्षक प्रो.श्यामल किशोर यादव, डॉ.विनय कुमार चौधरी, दशरथ प्रसाद सिंह, डॉ.सिद्धेश्वर कश्यप, डॉ.एम.आई.रहमान आदि ने अपने विस्तृत संबोधनों में जहां कोई उन्हें मालवीय तो कोई सर सैयद कहा वहीं किसी ने यहां तक कह डाला कि यदि वे यूपी, महाराष्ट्र में जन्मे होते तो देश की हर चौक-चौराहे पर उनकी प्रतिमा लगी होती………!

अंत में अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ.नरेश कुमार ने कहा कि कीर्ति बाबू का रहन-सहन एवं पहनावा बिल्कुल साधारण परंतु आंतरिक व्यक्तित्व बेहद असाधारण रहा है | वे जो भी ठान लेते, सुबह होते-होते उसे आरंभ कर देते |

कार्यक्रम में अंत तक मौजूद रहने वालों में प्रमुख रहे- डॉ.बी.के.दयाल, डॉ.मधुसूदन यादव, इप्टा उपाध्यक्ष आशीष सोना, प्रदेश सचिव सुभाष चंद्र, तुर्वसु, धीरज कुमार आदि | मंच संचालन किया सुभाष चंद्र ने एवं धन्यवाद ज्ञापन किया तुर्वसु ने |

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