एक ओर कहीं होली को प्रेम व भाईचारे का त्यौहार तो कहीं उमंग के साथ खुशियां बांटने का पर्व कहकर संबोधित करते हुए विभिन्न संस्थाओं द्वारा बंद होने के दिन “होली मिलन समारोह” का आयोजन किया गया तो दूसरी ओर शहर के गणमान्यों के साथ जिले के डायनेमिक डीएम मो.सोहैल (IAS) एवं एसपी विकास कुमार (IPS) की टीम के एसडीएम संजय कुमार निराला, एएसपी राजेश कुमार व थानाध्यक्ष आदि द्वारा झल्लूबाबू सभागार में “शराबियों पर नजर रखने” के साथ-साथ कहीं कोई अप्रिय घटना को लेकर “हुड़दंगियों की खैर नहीं”….. आदि पर विधि व्यवस्था को दुरुस्त रखने हेतु बैठक आयोजित किया गया | डीएम व एसपी ने सम्मिलितरूप से कहा कि प्रशासन की सख्त निगाहें हर वक्त, हर जगह है और रहेगी |
बता दें कि जहाँ विभिन्न विद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में शिक्षकों एवं छात्रों द्वारा बुराइयों को दूर करने, बैर भाव को भुलाने तथा आपसी भाईचारा का माहौल बनाने के लिए एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएँ दी जाती रहीं वहीं स्थानीय रासबिहारी विद्यालय परिसर में प्रातः 6:00 बजे “पुष्प योगा होली मिलन समारोह” का आयोजन किया गया जिसमें शहर के प्रखर समाजसेवी व साहित्यकार डॉ.भूपेंन्द्र नारायण मधेपुरी को मूर्खाधिराज चयनित कर टीका एवं टोपी पहनाई गयी |
इस अवसर पर बाबा रामदेव की “करो योग रहो निरोग” को जन-जन तक पहुंचाने में लगे रहनेवाले डॉ.अमोल राय, डॉ.एन.के.निराला, डॉ.नंदकिशोर, डॉ.देव कुमार, प्रो.रीता कुमारी, सुश्री रूबी कुमारी, पोस्ट मास्टर राजेश कुमार, गणेश कुमार, दीपक कुमार, प्राण मोहन यादव, माधुरी सिन्हा…….. रेखा गांगुली……. आदि मूर्खों के साथ-साथ सिविल सर्जन डॉ.गदाधर पाण्डेय, पूर्व प्राचार्य डॉ.सुरेश प्रसाद यादव, प्रमंडलीय सचिव परमेश्वरी प्रसाद यादव, सिंडीकेट सदस्य डॉ.अजय कुमार, डॉ.नरेश कुमार……. सरीखे वरिष्ठ मूर्खगण द्वारा उदगार व्यक्त किया गया |
अंत में पतंजलि द्वारा आयोजित “होली मिलन ” में मूर्खाधिराज डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने यही कहा-
होली हमें सीख व संदेश देती है कि हमारा जीवन आनंदमय होना चाहिए | आनंद में ऐसी दिव्यता होनी चाहिए जिससे हमारे अंत:करण में “उत्सव का भाव” पैदा होता रहे | ऐसा होने से हमारा जीवन और अंतर्मन स्वाभाविक रूप से रंगमय हो जाता है | कपड़ों को रंगने की जरूरत नहीं पड़ती है | तब महात्मा कबीर की वाणी सार्थक होने लगती है |
डॉ.मधेपुरी ने कहा कि आखिर कुछ तो है, जो सारे पर्वों से ऊपर है- होली | तभी तो देवाधिदेव महादेव ने भी खेला, माधव व राघव ने भी खेला, सुफियों ने भी खेला और प्रजापिता ब्रह्माबाबा के अनुयायियों ने भी खेला…… और आज बाबा रामदेव के अनुयायीवृंद एक साथ प्रसाद ग्रहणकर ‘रंग’ की जगह ‘पुष्प’ की होली खेल रहे हैं और हमेशा याद करते हैं-
होली ईद मनाओ मिलकर, कभी रंग को भंग करो मत |
भारत की सुंदरतम छवि को, मधेपुरी बदरंग करो मत ||