मांझी ने आरजेडी तो चौधरी ने थामा जेडीयू का हाथ

लोकसभा चुनाव से पहले ‘राजनीतिक सुविधा’ के लिए दल और प्रतिबद्धता बदलने का सिलसिला शुरू हो गया है और शुरुआत बिहार से हुई है। जी हां, बिहार की राजनीति के लिए फरवरी का अंतिम दिन उथल-पुथल भरा रहा। एक ओर जहां बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और ‘हम’ (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने एनडीए का साथ छोड़ आरजेडी-कांग्रेस महागठबंधन का दामन थाम लिया है, वहीं पूर्व शिक्षामंत्री व बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी सहित कांग्रेस के चार विधानपार्षदों ने कांग्रेस छोड़ जेडीयू से जुड़ने की घोषणा की है।

ख़बरों के मुताबिक जीतन राम मांझी ने आरजेडी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव से उनके घर पर बुधवार को मुलाकात कर एनडीए छोड़ने और आरजेडी के साथ महागठबंधन का हिस्सा बनने की घोषणा की। घोषणा के बाद तेजस्वी ने कहा कि मांझी उनके माता-पिता के पुराने दोस्त रहे हैं और वे मांझी का स्वागत करते हैं।

गौरतलब है कि मांझी और एनडीए के बीच तल्खी लंबे समय से चली आ रही थी। हाल में जहानाबाद उपचुनाव में टिकट न मिलने के कारण मांझी की नाराजगी और बढ़ गई थी। इसी कारण उन्होंने चुनाव के लिए प्रचार न करने का फैसला लिया था। यह भी किसी से छिपा नहीं कि मांझी के रिश्ते बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भी ‘मधुर’ नहीं रह गए थे।

उधर एक अन्य घटनाक्रम में बिहार कांग्रेस के चार विधानपार्षद अशोक चौधरी, दिलीप चौधरी, रामचंद्र भारती एवं तनवीर अख्तर ने कांग्रेस छोड़ जेडीयू के साथ जाने की घोषणा की। बता दें कि इन चारों को कांग्रेस ने सस्पेंड कर दिया था, जिसके बाद के इन चारों ने यह निर्णय लिया। बिहार काग्रेस और आरजेडी-कांग्रेस महागठबंधन के लिए यह एक बड़ा झटका है। वैसे देखा जाय तो ये नेता जिनकी अगुआई अशोक चौधरी कर रहे थे, कांग्रेस से पहले ही से असंतुष्ट चल रहे थे। अशोक चौधरी के बुधवार के ट्वीट से यह और भी स्पष्ट हो जाता है, जिसमें उन्होंने लिखा – “कई महीनों की मानसिक प्रताड़ना और लगातार मिल रहे अपमान के बाद आखिरकार आज मैंने कांग्रेस पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया।”

बहरहाल, बिहार की राजनीति के लिए ये दोनों ही घटनाक्रम बहुत मायने रखते हैं। हालांकि राजनीति के जानकार बताते हैं कि ये तो अभी महज शुरुआत है। आने वाले दिनों में एनडीए और यूपीए दोनों ही ओर से पालाबदल के कई दृश्य अभी सामने आने हैं। खैर, आने वाले दिनों में जो भी हो, बिहार की राजनीति इतने ही से काफी गरमा गई है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।

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