Educationist Dr.Bhupendra Madhepuri inaugurating a function along with Brahma Kumari Ranju Didi at Pragya Pita Brahma Kumari Ishwariya Vishwavidyalay Madhepura Centre on 1st January 2018.

पहले स्वयं को फिर समय को जीतें

विश्व विख्यात प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के बैनर तले स्थानीय राजयोग सेवा केंद्र जयपालपट्टी, मधेपुरा में नववर्ष के उपलब्ध में आयोजित स्नेही श्रद्धालुओं के “स्नेह मिलन समारोह” का उद्घाटन प्रखर शिक्षाविद व समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने किया और ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी तपस्विनी रंजू दीदी ने अध्यक्षता की |

बता दें कि कार्यक्रम का श्री गणेश ॐ शांति गीत से किया गया | गीत समापन के साथ ही उपस्थित जनों ने दीदी के साथ विश्व शांति के लिए ध्यान किया एवं तत्पश्चात सम्मिलित रुप से दीप प्रज्वलित कर पूर्व प्रमुख विनय वर्धन उर्फ खोखा बाबू, विनोद कुमार, विजय वर्धन आदि द्वारा “तमसो माज्योतिर्गमय” का उद्घोष किया गया | सबों को टीका लगाकर अपने संक्षिप्त संबोधन में ब्रम्हा कुमारी रंजू दीदी ने यही कहा- बीते वर्ष में सभी प्रकार के नेकी-बदी किए गये कार्यों की विदाई करें तथा अपने अंतर्मन की स्वच्छता के लिए अपने अंदर में बच रही बुराई को भी विदा कर दें | उन्होंने नये वर्ष में बुरा काम नहीं करने का सबों को संकल्प दिलाया |

यह भी बता दें कि उद्घाटनकर्ता डॉ.मधेपुरी में पुराने और नये वर्ष के सन्धिकाल की विस्तृत चर्चा करते हुए एवं ‘समय’ के संबंध में चेतावनी देते हुए अपनी ही पंक्तियों को यूँ गुनगुनाया-

न आदि न अंत, न टूट कहीं ! न रुके न झुके, शाश्वत है गमय है !!

तेज धार बख्शे न किसी को ! सुनो बंधुओ, वही समय है !!

डॉ.मधेपुरी ने जहाँ समय को विजय कहा वहीं इसे पराजय भी बताया | समय को मित्र कहा तो उसे शत्रु भी कह सुनाया | उन्होंने कहा- “बच्चो ! जीवन-सरिता में सुख-शांति व सद्भाव का सुन्दर कमल खिलाना चाहते हो तो समय के पल-पल को सकारात्मक कर्मों से बांधो | भूल करनेवालों को समय कभी नहीं बख्शेगा |”

मौके पर ओमशांति संस्थान के उन्नयन में लगे पूर्व प्रमुख विनय वर्धन उर्फ खोखा यादव, सिल्लीगुड़ी से पधारी कुसुम मातेश्वरी, ओम प्रकाश यादव, विजय वर्धन, संजय वर्धन, बैजनाथ यादव एवं अयोध्या बाबू सहित अन्य गणमान्यों ने अपने संबोधन के दरमियान सार रूप में यही कहा कि हीरा-मोती देकर भी कोई बीता हुआ समय वापस नहीं ला सकता !

अंत में नव वर्ष पर आयोजित स्नेह-मिलन-समागम का समापन स्नेहिल सहभोज के साथ संपन्न हुआ |

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