B.N. Mandal University

बीएनएमयू के वीसी डॉ.ए.के.राय ने वो किया जो किसी ने नहीं किया

बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय के 23वें कुलपति डॉ.अवध किशोर राय द्वारा विश्वविद्यालय की रजत जयन्ती वर्ष पर…….. स्थापना काल से ही अपनी जवानी के 25 वसंतों को पतझड के हवाले करने वाले वैसे 85-86 कर्मचारियों के घर में खुशी की लहर पैदा कर दी जिसे पूर्व के कुलपतियों द्वारा नहीं किया जा सका | वर्तमान कुलपति डॉ.ए.के.राय ने जहाँ एक ओर ‘कारसेवक’ नाम से प्रसिद्धि प्राप्त इन अस्थाई कर्मियों की विधि संगत नियुक्ति कर मंडल विश्वविद्यालय के इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज कराने की हिम्मत जुटाई वहीं दूसरी ओर 25 वर्षों से रिटायर्ड शिक्षकों व कर्मियों के पेंशन बकाये वेतनादि भुगतान के निमित्त 2 महीने कबल दिन-दिनभर पानी पी-पीकर एफओ, एफए आदि को बैठाकर सारी समस्याओं के निदान हेतु ‘पेंशन अदालत’ लगाते रहे और सभी दु:खी आत्माओं से शुभाशीर्वचन पाते रहे, शुभकामनाएं बटोरते रहे |

Educationist Dr.Bhupendra Madhepuri giving a Bouquet to the Hon'ble V.C. Dr.A.K.Ray for his courageous act in favour of so called "Karsewak" to get them sitted on the permanent post.....!
Educationist Dr.Bhupendra Madhepuri giving a Bouquet to the Hon’ble V.C. Dr.A.K.Ray for his courageous act in favour of so called “Karsewak” to get them sitted on the permanent post…..!

यह भी जानिए कि मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.अवध किशोर राय ने पूरी तन्मयता के साथ उच्च वर्गीय लिपिक, निम्नवर्गीय लिपिक, पुस्तकालय लिपिक, कैटलागर, कंप्यूटर ऑपरेटर सहित चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के पदों पर 86 लोगों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी करने की स्वीकृति दी | इसी के साथ स्थायीकरण हेतु धरना-प्रदर्शन, आंदोलन पर अब लगा विराम और दूर-दराज से आनेवाले छात्र-छात्राओं एवं अभिभावकों का अब होगा कल्याण……… कुलपति ने अपनी पहली प्राथमिकता को अमलीजामा पहनाने के बाद यही कहा-

पूरी पारदर्शिता के साथ विधि संगत ढंग से नियमानुसार चयन समिति ने अस्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति की है | जो बच गये हैं सीट रिक्त होते ही उनकी बहाली भी कर ली जायेगी- जिसकी चर्चा संचिका में कर दी गई है |

यह भी बता दें कि जहाँ एक ओर नियुक्ति की आस में कई एक तो दुनिया से चले गये, कुछ रिटायर हो गए और इसके अलावा भी कई कर्मचारी हैं जिन्हें यह सौभाग्य नहीं प्राप्त हो सका….. वहीं दूसरी ओर इस स्थायीकरण की दौर में पिता-पुत्र और पति-पत्नी ने एक साथ ज्वाइन कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है | कुलसचिव कुमारेश प्रसाद सिंह द्वारा जारी अधिसूचना में जिन 86 कर्मियों की नियुक्ति की गयी है उनमें- दशरथ यादव व पुत्र शंभू यादव, मो.इरशाद व पिता मो.सईद तथा पति गौरीशंकर पोद्दार व पत्नी शांति देवी ने एक साथ चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के रूप में योगदान कर विश्वविद्यालय के इतिहास में नया कीर्तिमान कायम किया है जिसकी वजह बने हैं सुलझे सोच के नेक इंसान कुलपति डॉ.ए.के.राय और इसकी जड़ में है- पूर्व में परीक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारी डॉ.राजेश्वर राय जिसकी कर्मठता से प्रभावित होकर तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक एवं विश्वविद्यालय के विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे लोहिया-भूपेन्द्र-कर्पूरी के अनुयायी डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी जिन्होंने एक नहीं कई बार उनकी जयंती के अवसर पर विशेषरूप से राजेश्वर राय से यही कहते सुने गये-

गिरो उठो फिर चलना सीखो |

हक की खातिर लड़ना सीखो ||

और श्रीराय ने बहाली को लेकर कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़ी और कभी डिगे नहीं, बल्कि सदा यही गुनगुनाते देखे जाते रहे-

भय जिसे शूल चुभ जाने का, वह फूल भला कब पाता है |

जो ज्वार देख घबड़ाता है, वह इसी पार रह जाता हैं ||

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