सोमवार को पटना में लोकसंवाद कार्यक्रम में भाग लेने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के लगातार दसवीं बार राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष चुने जाने पर कहा कि राजद पार्टी नहीं, बल्कि उनकी (लालू की) निजी संपत्ति है। उन्होंने आगे कहा, “राजद में पिछले साल ही चुनाव हुआ था और इस बार भी हो रहा है। वहां किस तरह का संविधान है, ये उनका अंदरूनी मामला है। उन्हें मालूम है कि किस तरह मीडिया में जगह बनाई जाती है। वे आजकल मीडिया के ‘पोस्टर ब्वाय’ बने हुए हैं।”
लालू व उनकी पार्टी के संबंध में पूछे जाने पर नीतीश ने बड़ी बेबाकी से कहा, “उनको विकास से कोई लेना-देना नहीं है। हमलोगों का स्वाभाव नहीं है कि आरोप-प्रत्यारोप में शामिल हों। अगर विकास के मुद्दे पर ‘डिबेट’ करेंगे तो उसमें हम भाग लेंगे।” पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के संबंध में उन्होंने कहा, “वे तो अभी बच्चे हैं, उनका क्या जवाब दें।”
आरक्षण के मुद्दे पर नीतीश ने बड़े स्पष्ट तौर पर कहा कि इस संबंध में उनका नजरिया स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि वे पाटीदार के ही नहीं, जाट और मराठा आरक्षण के भी पक्षधर हैं। साथ ही उन्होंने कहा कहा कि आज आरक्षण के लिए ऐसे समुदायों को भी क्यों मांग करनी पड़ रही है, यह भी देखना चाहिए।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को भी भारत का अंग बताते हुए नीतीश ने कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। वहीं, गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा को गुजरात में कोई खतरा नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि क्या देश में एक साथ सभी प्रकार के चुनाव होने चाहिए, उन्होंने कहा, “मैं इससे सहमत हूं। वर्ष 1967 तक तो चुनाव एक साथ ही हो रहे थे। 1967 के बाद ‘मिडटर्म पोल’ से यह स्थिति बदली है। पांच वर्ष के लिए एक साथ चुनाव हो, तो यह बहुत अच्छा रहेगा। इससे पूरे समय काम करने का मौका मिलेगा।” उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि इसके लिए संविधान में कुछ बदलाव करने होंगे और इस मुद्दे पर विमर्श की भी आवश्यकता है। यह तुरंत संभव नहीं है, इसमें वक्त लगेगा।
नीतीश ने एक बार फिर बाल विवाह और दहेज प्रथा विरोध की चर्चा करते हुए कहा कि इसके साथ ही शराबबंदी के लिए भी काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि इससे राज्य में माहौल बदला है। उन्होंने लोगों से समाजहित में कार्य करने की अपील भी की।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप