फ्रांस की राजधानी पेरिस में सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय आदिकला पेंटिंग संगोष्ठी का आयोजन होने जा रहा है | UNESCO से सम्बद्ध वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ जेरभास आर्ट क्लब द्वारा पेरिस में आयोजित दुनिया के 70 देशों के गिने-चुने कलाकार एवं कला विशेषज्ञों का जमघट होगा- 3 दिसम्बर से 9 दिसम्बर 2017 तक |
बता दें कि आदि कला जगत के इस अंतर्राष्ट्रीय महाकुंभ में यूनेस्को अचैआ क्लब के प्रेसिडेंट पी.मिल्ट ने संसार के 70 देशों के लगभग 500 कलामर्मज्ञों को शिरकत करने के लिए आमंत्रित किया है | पेरिस में आयोजित होनेवाले इस इंटरनेशनल पेंटिंग सिंपोजियम में शामिल होने के लिए मधेपुरा आदिकला के संस्थापक एवं इस मिट्टी के लाल संजय कुमार को भी आमंत्रित किया गया है | यह मधेपुरा जिले वासियों के लिए सर्वाधिक गर्व की बात है |
यह भी बता दें कि यह वही संजय कुमार है जो रेखा टूडू, सुनीता मरांडी, सुचिता हंसदा, सुनीता बास्की, सुखयमुनि सोरेन, अनीता मुर्मू एवं सुनिता हंसदा जैसे ढेर कलाकारों की चेतना को जगाने में वर्षो से आदि भित्ति चित्रकला को समर्पित दिखता रहा है | तभी तो संजय के गुरु रह चुके समाजसेवी शिक्षाविद् डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कभी आशीर्वचन देते हुए यही कहा था- आज मेरा शिष्य संजय जिस तरह सूरज जैसे जल रहा है वही कल निश्चय ही सूरज की तरह चमकेगा………! और इतने ही दिनों में गुरु का आशीर्वचन रंग दिखाने लगा |
इन दिनों भले ही राष्ट्रीय कला मंचों पर मधेपुरा आदिकला को समुचित सम्मान नहीं मिला हो लेकिन विश्वपटल पर अपनी पहचान बनाने में मधेपुरा जिला को बड़ी कामयाबी तो मिली है | अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आमंत्रण मिलने से यह साफ जाहिर हो जाता है कि सात समंदर पार मधेपुरा आदिकला की धमक पहुंच चुकी है | आदिकला केन्द्र के संस्थापक संजय कुमार ने जहाँ एक ओर इसे आदिकला, इससे जुड़े कलाकारों एवं सोशल साइट्स की भूमिका सहित डीएम मो.सोहैल (भा.प्र.से.) की टीम के सहयोग का सम्मान बताया है, वहीं दूसरी और आदिवासी समाज द्वारा सदियों से प्रचलित भित्ति चित्रकला को सहेजने की मुहिम का नतीजा माना है |