बिहार से बाहर बड़े शहरों में रोजगार के लिए जाकर बसने वाले बिहारियों के लिए ‘बिहारी’ संबोधन का प्रयोग कई बार उन्हें ‘देहाती’, ‘असभ्य’ या ‘विकास के दौर में पिछड़ा’ जताने और बताने के लिए किया जाता है। हालांकि इधर कुछ वर्षों में यह प्रवृत्ति कम हुई है। लेकिन जब बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले, जिनके कंधों पर राज्य के गौरव का भार होता है, इस संबोधन का अमर्यादित प्रयोग करें तो क्या कहेंगे आप? जी हां, केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने कुछ ऐसा ही कर दिया है। मोदी कैबिनेट में स्वास्थ्य राज्यमंत्री चौबे ने खुली सभा में कहा कि बिहार के लोगों से एम्स में भीड़ बढ़ रही है। स्वाभाविक है कि ऐसे बयान के बाद उनकी आलोचना हो और सियासत का पारा गर्म हो जाए। राजद और कांग्रेस इस बयान के लिए चौबे से बिहार के लोगों से माफी मांगने को कह रहे हैं, तो जेडीयू उन्हें ऐसे बयानों से बचने की सलाह दे रही है।
बता दें कि केन्द्रीय मंत्री और बक्सर से सांसद अश्विनी चौबे ने यह बात एक कार्यक्रम में कही जब बिहार के लोगों पर चर्चा हो रही थी। उन्होंने कहा था कि बिहार के लोगों की वजह से दिल्ली के एम्स में भीड़ बढ़ गई है। बिहार के लोग छोटी सी बीमारी को लेकर भी एम्स पहुंच जाते हैं।
इस बयान के मीडिया में आने के बाद आरजेडी के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने सोमवार को कहा कि सत्ता में बैठे लोग सत्ता के नशे में मदहोश हो गए हैं। लोगों को यह अधिकार है कि वह कहीं भी इलाज करा सकें। चौबे का यह बयान संविधान के खिलाफ है और उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर निकाल देना चाहिए।
आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया में अश्विनी चौबे को मानसिक रूप से कमजारे बताते हुए कहा कि बीजेपी ने हमेशा ही बिहार और बिहार के लोगों का अपमान किया है। इस बयान के लिए चौबे और बीजेपी को बिहार के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने प्रधानमंत्री से ऐसे मंत्री को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है।
इस बीच जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने चौबे को ऐसे बयानों से बचने की नसीहत देते हुए कहा कि दिल्ली के एम्स में बिहार के ही ज्यादा चिकित्सक हैं। बिहार के लोग हर जगह हैं, ऐसे में बिहार के लोग कहीं भी इलाज कराने जा सकते हैं। हालांकि उन्होंने चौबे का बचाव करते हुए यह भी कहा कि मंत्री के बयान को इस तरह से लेना चाहिए कि बिहार में कई बीमारियों के इलाज की समुचित व्यवस्था होने के बावजूद भी लोग दिल्ली इलाज कराने जाते हैं, जिससे यहां के लोगों को बचना चाहिए। उधर वरिष्ठ भाजपा नेता व बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी स्वाभाविक तौर पर उनका बचाव किया और कहा कि उनका मकसद पटना एम्स को बेहतर करने से था। यदि पटना में ही सारी सुविधाएं मिलने लगेगी तो लोगों को बाहर जाने की जरूरत ही नहीं होगी।
अब चौबे ने यह बयान चाहे जिस भाव से दिया हो, यहां की जनता को ‘भीड़’ कहने की भूल तो उनसे हो ही गई है। उन जैसे नेता भला ये कैसे भूल सकते हैं कि यही ‘भीड़’ उन्हें ‘भीड़’ से बाहर निकालकर नेता बनाती है, उन्हें सारे पद और अधिकार दिलाती है और बदले में बस थोड़ा-सा सम्मान चाहती है। हद तो तब हो जाती है जब वही नेता उन्हें भीड़ बताने तक से गुरेज नहीं करते..!
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप