राष्ट्रीय जनता दल के इतिहास में संभवत: यह पहला मौका है जब किसी बड़े निर्णय के लिए राबड़ी देवी ने बैठक बुलाई हो और उस बैठक में पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव न हों और न ही उनके उत्तराधिकारी के तौर पर स्वीकारे जा चुके तेजस्वी यादव हों। जी हां, राबड़ी देवी ने बुधवार को राजद की आपात बैठक बुलाई, जिसके राजनीति के गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं। बता दें कि लालू और तेजस्वी फिलहाल दिल्ली में हैं। सीबीआई ने 5 एवं 6 अक्टूबर को उनसे पूछताछ के लिए समन जारी कर रखा है। सीबीआई ने इससे पहले भी दो बार समन जारी किया था, लेकिन पिता-पुत्र ने दोनों ही बार तिथियों को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया।
बहरहाल, राबड़ी द्वारा बुलाई गई आपात बैठक में पार्टी के संगठन चुनाव को निर्धारित समय से 14 महीने पहले कराने का फैसला लिया गया। गौरतलब है कि राजद का संगठनात्मक चुनाव प्रत्येक तीन साल पर होता है और तय समय के मुताबिक इसे जनवरी 2019 में होना चाहिए था। लेकिन इस बात की प्रबल संभावना है कि इसी आसपास लोकसभा चुनाव भी हो जाएं। ऐसा होने पर नई कमिटियों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाएगा। यही कारण है कि पार्टी सभी मोर्चों पर स्वयं को समय रहते चुस्त-दुरुस्त कर लेना चाहती है।
राबड़ी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में तय किया गया कि 20 नवंबर को राष्ट्रीय परिषद की बैठक आयोजित की जाएगी। इसी दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी होगा, जिसमें लालू प्रसाद यादव की फिर से ताजपोशी तय है। नए अध्यक्ष के चुनाव के बाद खुला अधिवेशन होगा।
बता दें कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पूर्व 23 अक्टूबर को प्रखंड अध्यक्षों का चुनाव, 30 अक्टूबर को जिला अध्यक्षों का चुनाव और 4 से से 7 नवंबर के बीच प्रदेश अध्यक्ष, राज्य कार्यकारिणी के सदस्य तथा राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों का चुनाव होगा। इन सभी चुनावों से पहले सघन सदस्यता अभियान चलाया जाएगा, जिसकी शुरुआत गुरुवार से होगी।
यह भी जानें कि इन संगठनात्मक चुनावों के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह को राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी बनाया गया है और प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन को राष्ट्रीय सहायक निर्वाचन पदाधिकारी की जिम्मेवारी दी गई है, जबकि प्रदेश में चुनाव की जिम्मेवारी तनवीर हसन की होगी।