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ऐसा लगा रहा जाम : दिन बीता हो गई शाम !

चौंकिए नहीं, यह है मधेपुरा ! मधेपुरा के मेन मार्केट का सुभाष चौक | न जाने कितने दिनों से आस-पास के लोग नरक में जी रहे हैं | यातनाएं भोग रहे हैं | सड़क के दोनों ओर पूर्व से नाले बने हैं, जहाँ मच्छरों का खाना और दुर्गन्ध का खजाना है | फिर एक तरफ पाँच फीट गहरा गढ्ढा खोदकर आधी सड़क पर जमा कर दिया है मिट्टी का ढेर बिल्कुल पहाड़ी की तरह | ऊपर से बरसात का मौसम और कछुए की गति से चल रहा नाला निर्माण का काम | अनगिनत वाहनों की संख्या और ऊपर से जनसंख्या वृद्धि का दिशाहीन विस्फोट | इस सबके बावजूद पढ़े-लिखे लोगों द्वारा सड़क चवाने की लत तो दिन दुनी रात चौगुनी बढती जा रही है | शेष बची हुई संकीर्ण सड़क पर नाला निर्माण हेतु गिराए गये बालू, ईट, गिट्टी, छड-तखते | कहीं मिक्सचर मशीन तो कहीं JCB मशीनें |

रात में मुसलाधार बारिश से नाला भर जाता और दिन भर पम्पिंग सेट से उसे सड़क पर बहाया जाता | दुर्गंध भरा बाजार बन सकता है महामारी का शिकार | चाय-पान की दुकानों पर खड़े लोग यह भी बोलते हुए सुने जाते हैं कि बरसात में ऐसे निर्माण कार्य इसलिए भी चलाये जाते हैं कि बहुत कुछ पानी में “बह गया का बिल” भी स्वीकार कर लिया जा सकता है |

फिलहाल रमजान के महीने में चारो ओर पुरे शहर में खुदा ही खुदा है | यहाँ खुदा है , वहाँ खुदा है | जिधर जिस सड़क या गली में जाइए वहाँ खुदा ही खुदा है | सड़क के अंतिम किनारे पर गढ्ढा नहीं खुदा है बल्कि जहाँ जो जितना मैनेज कर लिया वहाँ उतनी जगह छोड़ कर खुदा है |

तुर्रा तो यह है कि प्रोफ़ेसर कॉलनी में सड़क से लगभग तीन फीट ऊँचा नाला बन जाने से दस फीट की सड़क सिकुडकर कहीं-कहीं पाँच फीट रह गयी है , जहाँ एक छोटी कार और सामने से आ रहे रिक्शा या साईकिल तक को क्रॉस करने में कठिनाई होती है | पल-पल भोग रहे इन यातनाओं से शहरवासियों को कौन मुक्ति दिलाएगा जबकि ज़िलापधाधिकारी गोपाल मीणा थर्ड फेज की ट्रेनिंग में मसूरी गये हुए हैं | फिर भी लोगों की आशा भरी नजरें नगर परिषद , जिला-परिषद या जिला के अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों की ओर टिकी हुई हैं कि आज नहीं तो कल . . . . . . !

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