बुधवार, 15 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में महत्वाकांक्षी कौशल विकास अभियान ‘स्किल इंडिया’ की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि जिस तरह चीन वैश्विक विनिर्माण कारखाना बन गया है, वैसे ही भारत को दुनिया के ‘मानव संसाधन के केंद्र’ के रूप में उभरना चाहिए। सरकार ने ‘गरीबी के खिलाफ लड़ाई’ के तहत यह अभियान शुरू किया है। मोदी ने कहा कि अगर देश के लोगों की क्षमता को समुचित और बदलते समय की आवश्यकता के अनुसार कौशल का प्रशिक्षण दे कर निखारा जाता है तो भारत दुनिया को 4 से 5 करोड़ कार्यबल उपलब्ध करा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर ‘स्किल इंडिया’ का प्रतीक चिन्ह जारी करने के साथ ही प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) की शुरूआत की। उन्होंने कहा, “गरीब लोग अब भीख मांगने को इच्छुक नहीं है बल्कि वह आत्म-सम्मान के साथ कमाई करेंगे… स्किल इंडिया की पहल केवल जेब भरने के लिये नहीं है बल्कि यह गरीबों में आत्म-विश्वास का भाव जगाएगी।” प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर ‘कौशल ऋण’ योजना की भी शुरूआत की जिसके तहत देश में 34 लाख युवाओं को अगले पांच साल में कौशल विकास हेतु पांच हजार से डेढ़ लाख रुपये तक उपलब्ध कराये जाएंगे। मोदी ने इस अवसर पर प्रशिक्षण के लिए कौशल ऋण के स्वीकृति पत्र भी सौंपे। उन्होंने कहा कि, “इस अभियान के जरिये सरकार लोगों का सपना पूरा करना चाहती है और राज्यों को साथ लेकर सुगठित रूप में इसे करने का इरादा है।”
इस कार्यक्रम में अरूण जेटली, मनोहर पर्रिकर, सुरेश प्रभु, राजीव प्रताप रूडी समेत कई केंद्रीय मंत्रियों के अलावा राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, महाराष्ट्र के देवेन्द्र फड़णवीस, हरियाणा के मनोहर लाल तथा पंजाब के प्रकाश सिंह बादल समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी कार्यक्रम में शामिल हुए।