प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मधेपुरा सहित विभिन्न केंद्रों पर अलौकिक रक्षाबंधन कार्यक्रम का आयोजन भाई-बहन के अटूट प्रेम, श्रद्धा एवं विश्वास के पर्व के रूप में किया गया । जबकि कलियुग के इस दौर में पत्थर बनते जा रहे अधिकांश इंसानों का ‘दिल’ अब रिश्तों के लिए धड़कना छोड़ता जा रहा है….।
फिर भी….. धरती पर आज भी भाई-बहन के बीच का अलौकिक रिश्ता जिन्दा है । तभी तो ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मधेपुरा शाखा की लोकप्रिय ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी रंजू दीदी ने राष्ट्र की सुरक्षा में लगे सैनिक भाइयों या फिर समाज की रक्षा करने वाले समाजसेवियों को रक्षासूत्र (राखी) बांधने के बाद यही कहा-
‘भारत की संस्कृति व मानवीय मूल्यों को प्रत्यक्ष करनेवाला, अनेक आध्यात्मिक रहस्यों को प्रकाशित करने वाला एवं भाई-बहन के वैश्विक रिश्तों को याद दिलाने वाला परमात्मा का अमूल्य उपहार है- यह रक्षाबंधन….!’
रंजू दीदी ने इस अवसर पर सैनिकों-समाजसेवियों को रक्षा सूत्र बांधने से पूर्व यही कहा कि सर्वप्रथम बहन भाई के मस्तिष्क पर तिलक लगाती है- जो शुद्ध, शीतल एवं सुगन्धित जीवन जीने की प्रेरणा देती है ।

आगे ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी ने यह भी कहा कि भाई को मिठाई खिलाने के पीछे यह राज भरा है कि निरन्तर मन और सम्बन्धों का मिठास मिलता रहे….!
इस अवसर पर समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा- इस बार का यह ‘रक्षाबंधन’ पावन सावन के पाँचवें सोमवार को पड़ने के कारण यह मास और यह दिन भी आशुतोष भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय है । साथ ही डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि देवाधिदेव महादेव शिव की प्रतिमा पर महामृत्युंजय मंत्र के साथ अर्पित किये गये ये रक्षासूत्र सैनिकों, समाजसेवियों एवं गणमान्यों की कलाइयों पर बांधती हुई ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी अंतर्मन से सदैव यही गुनगुनाती रही-
मेरी राखी की डोर, कभी हो ना कमजोर !
भैया ! दे दो…… कलाई बहन आई है !!