राजनीति सचमुच अनिश्चितता का खेल है। इतना अनिश्चित कि यहां प्रतिबद्धता का पता पलक झपकते बदल जाता है और आप हक्के-बक्के रहने के अलावा कुछ नहीं कर पाते। कौन जानता था कि महज 20 महीनों में ऐसी परिस्थिति आएगी कि नीतीश को महागठबंधन छोड़ना पड़ेगा और विधानसभा में उनके साथ बैठना होगा जिनके खिलाफ उन्होंने वोट मांगा था। और कौन जानता था कि तब नीतीश के निर्णय की ‘अध्यक्षता’ कर रहे शरद यादव आज उन्हीं के खिलाफ शुरू हो रही तेजस्वी की यात्रा में शामिल होने की तैयारी कर रहे होंगे।
जी हां, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शरद यादव 8 अगस्त को पटना आएंगे और इस बात के पूरे आसार हैं कि वे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की 9 अगस्त से मोतिहारी से माधोपुर तक होने वाली यात्रा में उनका साथ देंगे। ख़बर है कि वे इस दौरान बिहार में भाजपाविरोधी दलों के साथ मिलकर आगे की रणनीति तय करेंगे। बताया जाता है कि नीतीश से नाराज चल रहे शरद की आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से बातचीत अन्तिम रूप ले चुकी है और तेजस्वी उनसे लगातार संपर्क बना कर चल रहे हैं।
बताया जा रहा है कि शरद यादव ‘तकनीकी’ कारणों से आरजेडी की सदस्यता ग्रहण नहीं करेंगे, लेकिन भाजपाविरोधी लड़ाई में लालू के साथ खड़े नज़र आएंगे। आरजेडी ज्वाइन करने पर उनकी राज्यसभा की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है। हां, जेडीयू अगर उन्हें असंबद्ध घोषित कर दे तो उनकी यह ‘बाधा’ दूर हो जाएगी, जैसे आरजेडी द्वारा असंबद्ध मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव की सदस्यता बची हुई है।
बहरहाल, गौरतलब है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव नीतीश के विरोध व लगे हाथ ‘भाजपा भगाओ, देश बचाओ’ रैली की तैयारी के सिलसिले में 8 अगस्त को पटना से मोतिहारी रवाना हो रहे हैं, जहां से 9 अगस्त को उनकी यात्रा विधिवत शुरू होगी। इसके लिए आरजेडी ने भारत छोड़ो आन्दोलन की 75वीं वर्षगांठ को चुना है। इस दिन भाजपाविरोधी अन्य दलों के प्रमुख नेता भी मौजूद रहेंगे।