On the occasion of Tulsi Samaroh 2017 at Ambika Sabhagar of Kaushiki Kshetra Hindi Sahitya Sammelan Madhepura - From(L to R) - Sammelan Sachiw Dr.Bhupendra Madhepuri , Sanrakshak Dr.R.K.Yadav Ravi, Adhyaksh Hari Shankar Srivastav Shalabh & D.V.M President Yogendra Pransukhka etc.

विश्व साहित्य का अमूल्य धरोहर है तुलसीदास- डॉ.रवि

कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन संस्थान के अंबिका सभागार में समारोहपूर्वक तुलसी जयन्ती का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ की अध्यक्षता में संपन्न हुआ |

सर्वप्रथम गोस्वामी तुलसीदास के चित्र पर कौशिकी के संरक्षक डॉ.रमेन्द्र कुमार यादव रवि ,पूर्व सांसद सह संस्थापक कुलपति, अध्यक्ष हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ, सचिव डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, उपसचिव श्यामल कुमार सुमित्र सहित सभी साहित्यानुरागियों एवं तुलसी पब्लिक स्कूल के छात्रों व गणमान्यों के द्वारा पुष्पांजलि अर्पित की गई |

बता दें कि साहित्यकार शलभ ने विनयपत्रिका के एक गीत का सस्वर पाठ किया और अपने संबोधन में कहा कि जब हिन्दू धर्म में ही अनेक पंथ अवतरित होकर एक दूसरे पर प्रहार कर रहे थे तब अकेले तुलसी ने धर्म के रक्षार्थ ऐसे चरितनायक की रचना की जिन्होंने धरती को निशिचर विहीन कर धरती पर रामराज स्थापित किया |

इस अवसर पर जहाँ यशस्वी साहित्कार डॉ.सिद्धेश्वर काश्यप ने तुलसी की समन्वय-साधना, उनकी प्रगतिशीलता एवं परिस्थितियों के अनुकूल नवीन दृष्टिकोण अपनाने की कुशलता के चलते उन्हें लोकनायक की संज्ञा दी वहीं मधेपुरा व्यापार मंडल के अध्यक्ष योगेंद्र प्राणसुखका  ने सुन्दरकाण्ड की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि जब समाज में विश्रृंखलता उत्पन्न होकर उसकी गति को अवरुद्ध करने लगी तब सौंदर्य, शील और शक्ति के साथ तुलसी के मर्यादा- पुरुषोत्तम राम का आविर्भाव होता है एवं सेवक हनुमान का पराक्रम  परिलक्षित होने लगता है |

यह भी बता दें कि तुलसी को शुरू में कामी और बाद में रामानुगामी कहने वाले हिन्दी साहित्य के कई दर्जन पुस्तकों के रचनाकार व डी.लिट. प्राप्त डॉ.विनय कुमार चौधरी ने जहां तुलसी की काव्य भाषा की अद्भुत एवं मनमोहक शास्त्रीय समीक्षा प्रस्तुत की वहीं सम्मेलन के सचिव डॉ.मधेपुरी ने काम और राम के अद्भुत एवं विपरीत ध्रुवों वाले संबंध को बताते हुए यही कहा-

         जहाँ काम तहाँ राम नहीं, जहाँ राम नहीं काम !

         तुलसी कबहूँ ना रहि सके, रवि रजनी एक ठाम !!      

इसी क्रम में जहाँ दशरथ प्रसाद सिंह कुलिश एवं पूर्व कुलसचिव शचीन्द्र महतो ने रामायण काल की आर्थिक समीक्षा करते हुए यही कहा कि तुलसी का काव्य इसलिए श्रेष्ठ है कि उनके हृदय से निकले हुए भाव सीधे उनकी रचना में प्रवेश पा लेता है वहीं अधिवक्ता संतोष सिन्हा ने कहा कि तुलसी ने तत्कालीन बौद्ध सिद्धों एवं नाथ योगियों की चमत्कारपूर्ण साधना करके राम के लोकसंग्रही स्वरुप की स्थापना की |

अंत में अपने आशीर्वचन में सम्मेलन के संरक्षक व संस्थापक कुलपति डॉ.रवि ने तुलसी के मानस को स्वान्तः सुखाय के साथ-साथ परजन हिताय का संयोग कहा और डॉ.सिद्धेश्वर एवं डॉ.विनय को विशेष आशीर्वचन देते हुए यही कहा कि इन्हें सुनकर सर्वाधिक प्रसन्नता इस बात की हुई कि मधेपुरा में अब साहित्य की धारा सदा गतिशील रहेगी । डॉ.रवि ने तुलसी को पूर्णतया समन्वयवादी संतकवि कहा |

इस अवसर पर अंततक उपस्थित अधिवक्ता भोला प्रसाद सिन्हा, डॉ.आलोक कुमार, डॉ.अरविंद श्रीवास्तव, डॉ.श्यामल कुमार सुमित्र, उल्लास मुखर्जी, रघुनाथ यादव, शिवजी साह, बलभद्र यादव, कमलेश्वरी यादव, राकेश कुमार द्विजराज, किशोर श्रीवास्तव, विजय कुमार झा स्थापना आदि को सचिव डॉ.मधेपुरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया |

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