बिहार में चली आ रही राजनीतिक अनिश्चितता के बीच उस वक्त नए राजनीतिक संकेत मिले जब तेजस्वी और तेजप्रताप मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे। उम्मीद की जा रही है कि इसके बाद जेडीयू-आरजेडी के बीच व्याप्त तनाव कम होगा और दोनों दलों के रुख में नरमी आएगी।
बता दें कि मंगलवार को कैबिनेट की बैठक थी जिसमें तेजस्वी के शामिल होने को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। तेजस्वी पर सीबीआई के द्वारा किए गए एफआईआर के बाद यह पहला मौका था जब नीतीश और तेजस्वी को आमने-सामने होना था। अनुमान लगाया जा रहा था कि ऐसा होने पर दो दलों के रिश्तों के बीच जमती जा रही बर्फ पिघलेगी और ठीक ऐसा ही होता भी दिखा। बैठक में तेजस्वी अपने मंत्री भाई तेजप्रताप के साथ मौजूद रहे। उनके साथ आरजेडी कोटे के मंत्री चन्द्रशेखर, आलोक मेहता और विजय प्रकाश भी थे।
गौरतलब है कि तेजस्वी के सीबीआई के घेरे में आने के बाद से ही जेडीयू ने आरजेडी पर इस बात का दबाव बनाया हुआ है कि तेजस्वी खुद को पाक-साफ साबित करे या पद छोड़े। ऐसा न होने पर मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें बर्खास्त किए जाने का विकल्प भी खुला बताया जा रहा था। दूसरी ओर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तेजस्वी के इस्तीफे से साफ इनकार कर दिया था। इसके बाद से ही राजनीति गरमा गई थी। यहां तक कि महागठबंधन सरकार के दिन भी गिने जाने लगे थे। इन सबके बीच महागठबंधन में शामिल तीसरी पार्टी कांग्रेस भी ऊहापोह में थी और दूसरी ओर भाजपा भावी समीकरणों में अपना हिसाब बिठाने में लगी हुई थी।
बहरहाल, इस पृष्ठभूमि में कैबिनेट की बैठक कितनी अहम थी, कहने की जरूरत नहीं। खास बात यह कि कैबिनेट में केवल रूटीन मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान तेजस्वी-प्रकरण उठा ही नहीं। दोनों दलों की ओर से नरमी के संकेत तब और ज्यादा स्पष्ट हुए जब बैठक के बाद तेजस्वी अपने भाई तेजप्रताप के साथ मुख्यमंत्री के चैंबर में पहुंचे और लंबे समय तक वहां रहे। हालांकि इस दौरान उनके बीच क्या बातें हुईं यह नहीं पता, लेकिन दो दलों के बीच संवादहीनता खत्म होना न केवल उनके लिए बल्कि बिहार की राजनीति खासकर महागठबंधन के लिए सुखद संकेत है।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप