सामने जहाँ तक नजर जाती है वहाँ लालू-नीतीश को छोड़ खड़ा कोई भी राजनेता हो या फिर राजनेत्री, चाहे सांसद हो या विधायक, चाहे शिक्षक हो या प्रोफेसर अथवा लोक-सेवक से लेकर ग्राम-सेवक तक प्राय: सभी अपने-अपने सफ़ेद बालों को रंग-रंग कर आये दिन रंगबाजों की संख्या बढ़ाते ही जा रहे हैं | सभी राजनेता खुद को आम लोगों के बीच कच्चे उम्र वाले जैसा दिखने का धोखा ही तो दिया करते हैं |
वहीँ दूसरी ओर बेरोजगारों की खड़ी फ़ौज उन्ही रंगबाजों से रंगदारी तहसिलने के लिए कभी-कभी बच्चों के खेलने वाला काला प्लास्टिक का रिवाल्वर हाथ में लेकर बस-ट्रेन या प्लेन के पैसेंजर को धोखा ही तो दिया करते हैं तभी तो सभी हाथ उठाकर और सिर झुकाकर खड़े हो जाते हैं | लेकिन हाँ ! हर हमेशा नकली कारोबार ही नहीं होता |
इधर कुछ दिनों से बिहार में रंगदारों की धूम मची हुई है | पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से 10 लाख की रंगदारी मांगी गई तो वर्तमान मंत्री बीमा भारती से 5 लाख की | मधेपुरा के विधायक प्रो. चन्द्रशेखर हो या जद यू के बागी विधायक छातापुर के नीरज कुमार बबलू हो – दोनों को मोबाइल पर मेसेज भेजकर सेंट्रल बैंक के खाता नंबर- 3160610546 में 5-5 लाख रंगदारी जमा करने का फरमान दिया गया अन्यथा सपरिवार जान से मारने की धमकी | इतना ही नहीं , त्रिवेणीगंज की विधायिका अमला देवी हो या अल्प संख्यक आयोग के ओ.एस.डी. मो.दीवान जाफ़र हुसैन खां या फिर मधेपुरा का अंचल अधिकारी उदयकृष्ण यादव हो अथवा सहरसा कमिश्नरी का डॉ. भारत भूषण – यानी राजधानी पटना से लेकर अंचल तक सबों से मोबाइल पर 5 – 5 लाख रुपए की रंगदारी जिसने मांगी थी वही तो है – गिरोह का सरगना – निरंजन भगत , जो 15 दिन पहले जेल से बाहर निकला ही है | आलमनगर क्षेत्र का वह निरंजन हमेशा साथ में मोबाइल का 25 सिम रखता है | प्रभारी प्रधानाध्यापक ही नहीं वह बी.एल.ओ. भी है | निरंजन पर 30 लाख से अधिक का गवन का मामला दर्ज है जिसमें जेल भी गया था | रंगदारी मांगने के बाबत निरंजन पर पटना, मधेपुरा, पूर्णिया , सहरसा, त्रिवेणीगंज के थानों में दर्जनों प्राथमिकी दर्ज की गई है |
फिलहाल मधेपुरा के आरक्षी अधीक्षक आशीष भारती के गिरफ्त में है निरंजन भगत और उसका सहयोगी असगर अली अंसारी | गिरोह के अन्य रंगबाजों की खोज जारी है |