एक तरफ जहां बिहार 12वीं में 65 प्रतिशत छात्रों के फेल होने से शर्मसार हो रहा है और साथ ही लगातार दूसरे साल रिजल्ट घोटाले का दंश झेल रहा है, वहीं ऐसे उदाहरण भी यहां मौजूद हैं जो सीने को चौड़ा और सिर को ऊंचा कर देते हैं और ये विश्वास दिलाते हैं कि क्षणविशेष में चाहे अंधेरा कितना ही घना क्यों न हो जाय, उजाले की कमी यहां न रही है और न रहेगी। चलिए आपको लिए चलते हैं गया के मानपुर प्रखंड के पटवा टोली गांव में जहां से इस साल एक नहीं, दो नहीं पूरे 20 छात्रों ने आईआईटी की परीक्षा में कामयाबी पाई है। आपको सुखद आश्चर्य होगा कि 10 हजार की आबादी वाले इस गांव से पिछले 25 सालों में 300 से ज्यादा इंजीनियर निकल चुके हैं और देश-दुनिया में बिहार का नाम रोशन कर रहे हैं। आज इस गांव को लोग बड़े फक्र से ‘आईआईटीयन वाला गांव’ कहते हैं।
पटवा टोली की ये उपलब्धि तब और बड़ी दिखेगी आपको जब आप जानेंगे कि इस गांव में ज्यादातर आबादी बुनकरों की है। इन बुनकरों की जेब में पैसे चाहे हों या न हों लेकिन उनके पास जो चीज आपको निश्चित तौर पर दिख जाएगी, वो है उनके दिल में अपने बच्चों को इंजीनियर बनाने की ललक और इसके लिए दिन-रात मेहनत करने का जज्बा।
बुनकरों के इस गांव के सुनहले सफर की शुरुआत 1992 में हुई थी, जब इस गांव के जितेन्द्र प्रसाद ने सबसे पहले आईआईटी की परीक्षा पास की। ये वो वक्त था जब पटवा टोली और आसपास के गांव आर्थिक मंदी से जूझ रहे थे और पुश्तैनी पेशे में संभावना न देख यहां के बुनकर अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देने लगे थे। जितेन्द्र प्रसाद की सफलता से उनमें उम्मीद और विश्वास की ऐसी लौ जगी कि अब हर साल यह गांव अपने होनहारों के कारण चर्चा में रहता है।
एक और अहम बात यह कि आज जबकि सिवाय अपनी सफलता और सुख के लोग अपने परिवार के अन्य सदस्यों तक का ख्याल आमतौर पर नहीं रखते, ऐसे में यहां के पूर्व इंजीनियरिंग छात्रों ने मिलकर ‘नवप्रयास’ नाम की एक संस्था बनाई है जो आईआईटी की परीक्षा देने वाले छात्रों को पढ़ाई में मदद करती है। कहना गलत न होगा कि बुद्ध की इस ज्ञानभूमि में उनका अंश आज भी मौजूद है। धर्म और आध्यात्म की दुनिया के उस इंजीनियर के खोजे ‘मध्यममार्ग’ पर चलकर आज की पीढ़ी अगर इंजीनियरिंग का झंडा फहरा रही है, तो आश्चर्य क्या है!
चलते-चलते
इस साल जेईई एडवांस्ड की परीक्षा में यहां के जिन 20 छात्रों ने सफलता का परचम लहराया है, वे हैं – सन्नी कुमार, केदार नाथ, विनित कुमार, रंजन कुमार, कृष्णा कुमार, डॉली राज, गौतम राज, रंजीत कुमार, अभय कुमार, राहुल कुमार, रौशन कुमार, चेतन कुमार, अंकित कुमार, अमर कुमार, बबलू कुमार, गोपी कुमार, अमन कुमार, सरस्वती कुमारी, परमानंद कुमार और रंजीत कुमार। ‘मधेपुरा अबतक’ की ओर से इन सबको हार्दिक बधाई! और साथ में सलाम पटवा टोली की मिट्टी को!!
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप