Amit Shah-Mahtma Gandhi

तो अमित शाह के हिसाब से ‘चतुर बनिया’ थे राष्ट्रपिता!

भारत के संपूर्ण इतिहास के उन चंद नामों में महात्मा गांधी का नाम शुमार है जिनकी स्वीकार्यता और जिनके प्रति सम्मान दल, जाति और धर्म ही नहीं, देश और काल की सीमा से परे है। ऐसे महान व्यक्तित्व के लिए किसी भी रूप में अशोभनीय शब्द का प्रयोग निन्दायोग्य ही नहीं बल्कि अक्षम्य है। पर इन दिनों मोदी के ‘कांग्रेसमुक्त भारत’ के नारे के झंडाबरदार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर हालिया चुनावी सफलताओं का नशा कुछ इस कदर चढ़ गया है कि वे मर्यादा की सारी सीमा लांघकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक के लिए अनादरसूचक शब्द का इस्तेमाल कर बैठे। जी हां, उन्होंने भरी सभा में उन्हें ‘चतुर बनिया’ की संज्ञा दी। अब चाहे वो इसके संदर्भ की लाख दुहाई दे लें, सार्वजनिक जीवन में रहने वाले और भारत ही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का अध्यक्ष कहलाने वाले व्यक्ति से ऐसा कतई अपेक्षित नहीं।

बहरहाल, चलिए जानते हैं मामला क्या है। दरअसल अमित शाह शुक्रवार को छत्तीसगढ़ में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान कांग्रेस की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, “कांग्रेस किसी एक विचारधारा के आधार पर, किसी एक सिद्धांत के आधार पर बनी हुई पार्टी ही नहीं है… यह तो आज़ादी हासिल करने के लिए एक साधन (पर्पस व्हीकल) की तरह थी। और इसीलिए महात्मा गांधी ने… बहुत चतुर बनिया था… उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को आज़ादी के बाद बिखेर देना चाहिए।” आगे उन्होंने कहा, “भले ही महात्मा गांधी कांग्रेस को न बिखेर पाए हों, लेकिन अब वह काम कांग्रेस के ही लोग कर रहे हैं।”

अमित शाह के इस बयान की कांग्रेस समेत सारी पार्टियों ने एक स्वर से निन्दा की है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने शाह के बयान को देशद्राह की संज्ञा दी और कहा कि यह स्वतंत्रता सेनानियों, उनके बलिदान और महात्मा गांधी का अपमान है। उन्होंने अमित शाह को सत्ता का व्यापारी बताते हुए कहा कि वे देश की आज़ादी की लड़ाई को व्यापारिक मॉडल बता रहे हैं। सुरजेवाला ने कहा कि सच्चाई यह है कि आज़ादी से पहले गोरे अंग्रेज महासभा और संघ का इस्तेमाल देश के बंटवारे के लिए करते रहे और अब यही काम भाजपा के काले अंग्रेज मुट्ठी भर धन्नासेठों का स्पेशल पर्पस व्हीकल बनकर कर रहे हैं।

उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा, सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्तियों को राष्ट्रनायकों का उल्लेख बेहद सम्मान और संवेदनशीलता के साथ करना चाहिए। जबकि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर सीधे कुछ न कहकर ट्वीट के माध्यम से बस गांधीजी का ही एक कथन साझा किया, जो यह है – “मैं जब भी निराश होता हूं, मैं याद करता हूं इतिहास में हमेशा सच और प्यार की जीत हुई है। अत्याचारी और हत्यारे हुए और कुछ वक्त के लिए वो अजय भी जान पड़े, लेकिन अंत में उनका खात्मा हो ही गया… ये बात हमेशा याद रखिए।”

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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