Nitish Kumar

केन्द्र सरकार के तीन साल: जेडीयू के सात सवाल

बिहार की महागठबंधन सरकार में शामिल जेडीयू ने केन्द्र की वर्तमान एनडीए सरकार के तीन साल पूरा होने पर नरेन्द्र मोदी सरकार से आज सात सवाल किए। पटना स्थित जेडीयू के प्रदेश कार्यालय में पार्टी प्रवक्ता संजय सिंह एवं नीरज कुमार ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि 2 करोड़ नौकरियों का वादा करने वाली केन्द्र सरकार 20 हजार नौकरी भी नहीं दे पा रही है। उन्होंने पूछा कि अनूसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछडी जातियों की भर्ती में 90 प्रतिशत की कमी आई और मात्र 8,436 भर्तियां हुईं, क्या इसे पिछड़ा विरोधी न कहा जाए?

जेडीयू के प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि देश के युवाओं को हसीन सपने दिखने वाले लोग रिक्त स्थानों पर भी भर्तियां नहीं कर रहे है? कुल सरकारी नौकरी में 89 प्रतिशत की कटौती करते हैं, ऐसे में क्या इन्हें युवा विरोधी सरकार कहना गलत होगा? जेडीयू ने आरोप लगाया कि छह महीने में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सिर्फ 12,000 नौकरियां पैदा हुई हैं, जबकि इस सेक्टर के लिए मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया का अभियान चलाया गया। इस पर केन्द्र सरकार का क्या कहना है?
आईटी क्षेत्र एवं अन्य निजी क्षेत्र मे भारी छटनी चल रही है और तकरीबन 10 लाख लोगों को निकाले जाने की संभावना है, कटौती को रोकने के लिए केन्द्र सरकार ने क्या कदम उठाये हैं? जेडीयू के प्रवक्ताओं ने कहा कि उनकी पार्टी ये सवाल राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं पूछ रही है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण से जुड़ा सवाल है। बेरोजगार युवाओं से कैसे राष्ट्र निर्माण करेंगे? कैसे बनेगा भारत विश्व शक्ति, अगर हमारे देश के युवाओं को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलेगा?

जेडीयू के प्रवक्ताओं ने यह भी पूछा कि क्या बीजेपी कार्यकर्ताओं के बच्चों को सरकारी मिल रही है? उन्हें ये सवाल केन्द्र सरकार से करना चाहिए कि क्या बीजेपी के सपनों में सिर्फ पूंजीपतियों को ही जगह मिलेगी? बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए जेडीयू नेताओं ने कहा कि साल 2009 में 12.56 लाख लोगों को रोजगार मिला था और साल 2015 में यह आंकड़ा 1.35 लाख रह गया। पिछले चार साल से हर दिन 550 नौकरियां गायब होती चली जा रही है। इस हिसाब से 2050 तक भारत में 70 लाख नौकरियों की कमी हो जाएगी। बहरहाल, इन तीखे सवालों का भाजपा व केन्द्र सरकार क्या जवाब देती है, यह देखना सचमुच दिलचस्प होगा।

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