Mother's Day

सरहदों से नहीं बदलता ‘मदर्स डे’ का सार

माँ – वो शब्द जिसे परिभाषित करने में दुनिया की सारी भाषाओं के सारे शब्द और साहित्य व कला की सारी विधाएं खर्च हो जाएं, फिर भी परिभाषा अधूरी रह जाए। संसार का साक्षात ईश्वर, सृष्टि का पर्याय, हमारे अस्तित्व का पहला अध्याय होती है मां। दुनिया के हर बच्चे के लिए सबसे खास, सबसे प्यारा, सबसे गहरा, सबसे नि:स्वार्थ रिश्ता। सच तो यह है कि हमारे जीवन के सारे दिन मां से और मां के  होते हैं, फिर भी मां को सम्मानित करने के लिए एक खास दिन को दुनिया ने ‘मदर्स डे’ का नाम दिया, जो भारत में मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। लेकिन यह जानना दिलचस्प होगा कि अलग-अलग देशों में इस दिन को मनाने की तारीख और इसकी शुरुआत की कहानी भी अलग-अलग है। तो आईये, मदर्स डे के इतिहास में झांकें, इस दिन को सम्पूर्णता में देखें।

मदर्स डे का इतिहास लगभग 400 वर्ष पुराना है। प्राचीन ग्रीक और रोमन इतिहास में मदर्स डे को मनाने के कई साक्ष्य हैं। पुराने समय में ग्रीस में मां को सम्मान देने के लिए पूजा का रिवाज था। कहा जाता है कि स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मां थीं और उनके सम्मान में यह दिन त्योहार के रूप में मनाया जाता था। उधर एशिया माइनर के आसपास और रोम में इसे वसंत ऋतु के करीब ‘इदेस ऑफ मार्च’ यानि मां को सम्मान देने के पर्व के रूप में 15 से 18 मार्च तक मनाया जाता था।

यूरोप और ब्रिटेन में मां के प्रति सम्मान दर्शाने की कई परंपराएं प्रचलित हैं। उसी के अंतर्गत एक खास रविवार को मातृत्व और माताओं को सम्मानित किया जाता था, जिसे ‘मदरिंग संडे’ कहा जाता था। इंग्लैंड में 17वीं शताब्दी में 40 दिनों के उपवास के बाद चौथे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता था। इस दौरान चर्च में प्रार्थना के बाद छोटे बच्चे फूल या उपहार लेकर अपने-अपने घर जाते थे। इस दिन सम्मानस्वरूप मां को घर का कोई काम नहीं करने दिया जाता था।

दक्षिण अमेरिकी देश बोलिविया में मदर्स डे 27 मई को मनाया जाता है। यहां मदर्स डे का मतलब कोरोनिल्ला युद्ध को स्मरण करना है। दरअसल 27 मई 1812 को यहां के कोचाबाम्बा शहर में युद्ध हुआ। कई महिलाओं का स्पेनिश सेना द्वारा कत्ल कर दिया गया। ये सभी महिलाएं सैनिक होने के साथ-साथ मां भी थीं। इसीलिए 8 नवंबर 1927 को यहां एक कानून पारित किया गया कि यह दिन मदर्स डे के रूप में मनाया जाएगा।

चीन में भी मदर्स डे काफी लोकप्रिय है। इस दिन वहां उपहार के रूप में गुलनार के फूल खूब बिकते हैं। चीन में 1997 में यह दिन गरीब माताओं की, खासकर उन गरीब माताओं की जो ग्रामीण क्षेत्रों जैसे पश्चिम चीन में रहती हैं, की मदद के लिए निश्चित किया गया था।

जापान में मदर्स डे शोवा युग (1926-1989) में महारानी कोजुन (सम्राट अकिहितो की मां) के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता था। अब इस दिन को लोग वहां अपनी मां के लिए ही मनाते हैं। इसी तरह थाईलैंड में भी रानी के जन्मदिन की तारीख को मदर्स डे की तारीख में बदल दिया गया।

बहाना चाहे जो हो, आज मदर्स डे दुनिया के अधिकांश देशों में मनाया जाता है। जैसे कई कैथोलिक देशों में वर्जिन मेरी डे को तो इस्लामिक देशों में पैगंबर मुहम्मद की बेटी फातिमा के जन्मदिन को मदर्स डे के रूप में मनाया जाता है। कुछ देश 8 मार्च यानि वुमेंस डे को ही मदर्स डे की तरह मनाते हैं, लेकिन मनाते जरूर हैं। कई देशों में तो मदर्स डे पर अपनी मां का विधिवत सम्मान नहीं करना अपराध की श्रेणी में आता है।

अमेरिका में मदर्स डे की शुरुआत 1870 में जूलिया वार्ड होवे ने की थी। उनका मानना था कि महिलाओं या माताओं को राजनीतिक स्तर पर अपने समाज को आकार देने का सम्पूर्ण दायित्व मिलना चाहिए। आगे चलकर 1912 में मदर्स डे इंटरनेशनल एसोसिएशन बना और एना जॉर्विस (वर्जीनिया) ने मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे घोषित किया। गौरतलब है कि जॉर्विस शादीशुदा नहीं थीं और न ही उनका कोई बच्चा था। उन्होंने अपनी मां एना मैरी रविस जॉर्विस की मृत्यु के बाद उनके प्रति अपना प्यार और सम्मान जताने के लिए इस दिन की शुरुआत की थी। भारत में भी मई के दूसरे रविवार को ही मदर्स डे मनाया जाता है। वैसे यहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धर्मपत्नी कस्तूरबा गांधी के जन्मदिन को भी मदर्स डे के तौर पर मनाने के उदाहरण देखे जा सकते हैं।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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