जी हाँ ! चौंकिए नहीं…….! यह बच्चा संवाद कर रहा है अपनी आंटी से | टूटे झूले की कड़ी से झूलते हुए……| और ‘आंटी’ किसी परिचय का मोहताज नहीं | वही तो है अंतर्राष्ट्रीय कराटे खिलाड़ी सोनी राज- जिसे स्थानीय वृनदावन नर्सिंग होम गोद लिया है फ्री चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने और पार्वती साइंस कॉलेज फ्री हायर एजुकेशन देने के लिए | क्योंकि, सोनीराज श्रीलंका, मलेशिया और थाइलैंड आदि कई देशों से पदक जीतकर मधेपुरा का नाम जो रोशन किया है |
बता दें कि मधेपुरा में तो सही-सलामत बच्चों के लिए भी उनके अनुकूल चिल्ड्रेन पार्क नहीं है जबकि बैंगलोर की कविता कृष्णमूर्ति इन दिनों भारत सरकार के साथ ऐसे पार्क डिजाइन करने एवं बनाने में लगी है कि वहाँ के कुछ पार्क्स को डिजेबल्ड यानि दिव्यांग बच्चों के लिए फ्रेंडली बनाकर उसे अभियान का रुप दिया जा सके |
यह भी जानिये कि वैसे दिव्यांग बच्चों के पैरेंट्स एक नहीं कई ग्रुप बनाकर पार्क की साफ-सफाई में सहयोग करते हैं | म्यूनिसिपल कमिश्नर एवं पदाधिकारियों के साथ एक दिन का वर्कशॉप भी करते हैं | और यहाँ पर गाँधी के चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी के अवसर पर भी ना पेरेंट्स का कोई ग्रुप बना और ना साफ-सफाई के बाबत कोई वर्कशॉप ही आयोजित किया गया |
हाँ ! मधेपुरा के डायनेमिक डीएम मो.सोहैल द्वारा इतना तो जरूर किया गया कि चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह के अवसर पर साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी को एक टीम बनाकर प्रखंड एवं गांवों में जाकर गांधीयन विचार पर चर्चा करने की बात कही गई तो एक टीम बनाकर वैसा करते हुए वे एकदिन इसी पार्क (जिला अतिथि गृह से सटे पूरब) में बच्चों से गाँधी के विचार शेयर किये एवं साफ-सफाई की बातें की और बच्चों के साथ मिलकर स्वयं भी पार्क की सफाई करने लगे | टूटे हुए झूले की स्थिति और बच्चे एवं बड़ों के घूमनेवाले फुटपाथ में उत्पन्न टूट के बाबत डॉ.मधेपुरी ने कहा कि सबकुछ जिला प्रशासन एवं सरकार ही नहीं कर देगी बल्कि हमें यह महसूसना होगा कि समस्याएँ हमें मजबूत बनाने और हमसे कुछ सार्थक कराने के लिए आती हैं |
मौके पर जहाँ नवाचार रंगमंडल के सदस्यगण सुनीत साना, अमित आनंद, अमित अंशु, मो.आतिफ, आदित्य, कार्तिक कुमार, अंशु कुमार, सावंत कुमार रवि आदि ने नगर परिषद से मांग की कि पार्को की नियमित सफाई एवं पौधों की सुरक्षा व सिंचाई पर विशेष नजर रखी जाय वहीं रंगमंडल के संरक्षक डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि जब तक स्थानीय लोग खासकर पार्क में प्रतिदिन आने वाले अधिवक्ता भोला प्रसाद सिंह या उनके पडोसी शिक्षक भोला प्रसाद यादव जैसे लोग जागरुक नहीं होंगे तब तक पार्कों की स्थिति में विशेष सुधार नहीं हो सकेगा |