जिला मधेपुरा का 36वाँ स्थापना दिवस समारोह 9 मई को मनाने हेतु 22 अप्रैल 2017 को जिलाधिकारी मो.सोहैल की अध्यक्षता में समाहरणालय के सभा भवन में सभी विभागीय पदाधिकारियों एवं शहर के गणमान्यों के साथ आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया कि स्थापना दिवस समारोह के रूप में सभी प्रखंडों के पंचायत स्तर से जिलास्तर तक धूमधाम से मनाया जाय | साथ ही यह भी कि सवेरे स्कूली बच्चों द्वारा बैण्ड-बाजे के साथ प्रभात फेरी, युवजनों द्वारा बी.एन.मंडल वि.वि. से स्टेडियम तक विकास दौड़, दोपहर में खेलकूद…… शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम…….. दिनभर उत्सवी माहौल……. साफ-सफाई…….. रंग-रोगन… एक साल का प्रगति प्रतिवेदन………. उत्कृष्ट कार्य करने वाले तीन कर्मी का चयन……. आदि आदि को माननीय प्रभारी मंत्री सह ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव के कर कमलों द्वारा पुरस्कृत किया जायगा |
लेकिन जिला स्थापना दिवस की पूर्व अति पूर्व संध्या पर 6 मई (शनिवार) को ही स्थानीय श्रीकृष्ण मंदिर परिसर में संगीत को समर्पित बनारस के मिश्रबंधुओं एवं दिल्ली सहित अन्य कलाकारों द्वारा भव्य गायन-वादन व संगीत सम्मेलन का आयोजन किया गया |
यह भी बता दें कि मधेपुरा जिले के शास्त्रीय संगीत के सर्वमान्य भीष्म पितामह पंडित परिमल यादव एवं महामहिम राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत तबला वादक प्रो.योगेंद्र नारायण यादव के सम्मान में जिला स्थापना को समर्पित ‘गंधर्व संगीत समारोह’ का दीप प्रज्वलित करते हुए समाजसेवी-साहित्यकार शिक्षाविद डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने अवरूद्ध कंठ से बस यही कहा कि न तो मां की ममता की गहराई को और ना ही इन दोनों गीत-संगीत साधकों की साधना की ऊंचाई को मापने की शक्ति है मुझमें !
डॉ.मधेपुरी ने पंडित परिमल के शब्दों ‘संगीत समाज को संस्कारित करता है……’ को उद्धृत करते हुए बस इतना ही कहा- “मैं संगीत जानता नहीं, केवल उसे महसूसता हूँ |” और यह भी अनुभूति होती रहती है कि संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि
Music is such an art
Killing care grief of heart…….
प्रो.योगेंद्र नारायण यादव, प्रो.श्यामल किशोर यादव, एवं प्रो.रीता ने भी संगीत के महत्व की चर्चा की | कार्यक्रम की शुरुआत में संगीत के भीष्म पितामह पंडित परिमल के शास्त्रीय गायन, तबला पर प्रो.योगेन्द्र नारायण एवं हारमोनियम पर प्रो.संजीव देर तक सजीव श्रोताओं की तालियाँ बटोरते रहे |

दूसरे सत्र में बनारस एवं दिल्ली से आये कलाकारों के फ्यूज़न कार्यक्रम का श्रोताओं ने जमकर रसास्वादन किया और तालियों के साथ उत्साहवर्धन भी किया | विभिन्न म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स के साथ शास्त्रीय धुनों से मधेपुरा जिला स्थापना दिवस का उत्सवी माहौल सबके मन-मस्तिष्क पर छाने लगा |
यह भी बता दें कि वायलिन पर पी.मिश्र, सितार पर हार्दिक वर्मा, बांसुरी पर अतुल शंकर और तबले पर निर्मल यदुवंशी के लय-ताल और सुर के साथ पी.यदुवंशी की सुपुत्री समीक्षा यदुवंशी की ऐंकरिंग ने श्रोताओं को देर शाम तक बांधे रखा | अंत में शास्त्रीय गीत के गुरु वरुण मिश्र की साधना जब यह सिद्ध करने लगी कि शास्त्रीय संगीत ही आदि संगीत है…… सभी संगीतों का श्रोत है…… तब भला कौन किसकी सुनता…. तबले की जगह तालियाँ ही बजने लगी…. बजती ही रही |

मौके पर राजकमल सिंह, बाल्मिकी यादव, रोशन कुमार, डॉ.आलोक कुमार, प्रो.सिद्धेश्वर काश्यप, अरुण कुमार झा, संजय कुमार, सनोज कुमार, मनोज कुमार आदि अंत तक मौजूद देखे गये | प्रो.रामस्वरूप ने धन्यवाद ज्ञापित किया | उन्होंने कला संस्कृति संगम एवं विजय मेमोरियल म्यूजिक कॉलेज के संयुक्त आयोजन की जमकर सराहना की |