Aditya Anand IAS from Madhepura

मधेपुरा के मिनी चम्बल से निकला आई.ए.एस.

प्रायः कीचड़ से ही कमल निकलता है और कोयले के बीच से हीरा | लेकिन मरुभूमि में गुलाब बहुत मुश्किल से खिलता है और मिलता है | मधेपुरा का मिनी चम्बल कहा जाने वाला टेंगराहा-सिकियाहा पंचायत के परती-पर्रांट मरुभूमि से जिस किसान दंपत्ति “शम्भु-संजू” ने एक गुलाब पैदा किया – उसी कमल का, उसी हीरा का और उसी गुलाब का नाम है- आदित्य आनन्द |

किसान पिताश्री श्री शम्भु प्र. यादव और गृहिणी ममतामयी माताश्री संजू देवी का यह गुलाब आज इस मरुभूमि में हर पल अपना सुगन्ध फैला रहा है तथा सौरभ बिखेर रहा है |

यू.पी.एस.सी. की 2014 की परीक्षा में 980वां रैंक हासिल करने वाला वह आदित्य बगल के रौता गाँव के “सौरभ शिशु शिक्षा निकेतन” से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा शुरू की और अपनी लगन व मिहनत का सौरभ फैलाते हुए मुरलीगंज प्रखंड के बी.एल.उच्च वि. होते हुए टी.एन.बी.कालेज से स्नातक किया | इतिहास में एम.ए. कर इन्होंने अपनी मातृभाषा “मैथिलि” के साथ यू.पी.एस.सी. की ऊंचाई तक पहुंचे | फ़िलहाल वे आल इंडिया रेडियो में ऑफिसर हैं |

आई.ए.एस.आदित्य आनन्द की तमन्ना है कि इस टेंगराहा-सिकियाहा की बंजर भूमि में कृषि को सर्वाधिक बढ़ावा मिले | ग्रामीण प्रतिभा को ऊंचाई तक ले जाने के लिए एक अच्छी शिक्षा व्यवस्था कायम हो और जिसका श्री गणेश शीघ्र हो |

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