पूरे देश को स्तब्ध करने वाले निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप को पूरे देश में ‘सदमे की सुनामी’ बताते हुए कहा कि इस केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। कोर्ट ने माना कि इस मामले में अमीकस क्यूरी की ओर से दी गई दलीलें अपराधियों को बचाने के लिए पर्याप्त नहीं थीं। इस फैसले के बाद अदालत में लोगों ने तालियां बजाईं और इंसाफ की प्रतीक्षा में कोर्ट की पिछली सीट पर बैठे निर्भया के माता-पिता को समझते देर नहीं लगी कि इंसाफ हो गया है।
फैसले के बाद निर्भया के पिता ने कहा कि आज निर्भया के साथ-साथ देशभर को इंसाफ मिला है। अपराधियों पर लगाम के लिए यह जजमेंट एक संदेश की तरह होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा था कि इस मामले में फांसी की सजा बरकरार रहेगी और वही हुआ। हालांकि उन्हें तसल्ली तब होगी जब चारों को फांसी पर लटकाया जाएगा। निर्भया की मां ने कोर्ट से बाहर निकलने के बाद कहा कि इस घटना के बाद जिस तरह से देश ने निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ाइयां लड़ी हैं उसके लिए वह सबका धन्यवाद देती हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि आगे कोई बच्चियों के साथ ऐसी दरिंदगी न करे इसके लिए लड़ाई जारी रहनी चाहिए।
बता दें कि निर्भया 23 साल की थी जब ये हादसा हुआ था। आज वह जिंदा होती तो मेडिकल की पढ़ाई पूरी हो चुकी होती और शायद उसकी शादी भी हो गई होती। खैर, आज निर्भया के माता-पिता के साथ-साथ पूरे देश को इस बात की तसल्ली है कि निर्भया को इंसाफ मिला है। हालांकि देखा जाय तो कानून की सीमाओं के कारण पूरा न्याय अब भी बाकी है क्योंकि गैंगरेप का नाबालिग अपराधी छूट गया है। कानून के पंजे से उसके छूट जाने पर निर्भया के परिवार का अफसोस आज भी बरकरार है। उसके माता-पिता ने जी-जीन लगा दिया था कि उसे भी फांसी की सजा मिले, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी भी डाली, लेकिन वह खारिज हो गई।
बहरहाल, अब जबकि निर्भया के चार गुनगारों के लिए कानून के सभी दरवाजे बंद हो चुके हैं, ऐसे में अब उनकी निगाहें राष्ट्रपति की ‘अदालत’ की तरफ होगी। दया याचिका पर आखिरी फैसला राष्ट्रपति का ही होगा। हालांकि मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जिस तरह अपने 5 साल के कार्यकाल में सभी 32 दया याचिका के मामले को निपटाया है, और इनमें से 28 में फांसी की सजा बरकरार रखी है, उसे देखते हुए नहीं लगता कि इन चारों दरिंदे पर वे दया दिखाएंगे। वैसे गौरतलब है कि उनके कार्यकाल में अब केवल तीन ही महीने शेष हैं और बहुत संभव है कि इस मामले को अगले राष्ट्रपति निबटाएं।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप