आपने यह जरूर सुना होगा- मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है ! कभी दैनिक अखबारों के लिए कार्टून बनाकर जीवन जीने वाला संजय कुमार इधर वर्षों से आदिवासी भित्ति चित्रकला को समर्पित दिखने लगा है | तभी तो रेखा टूडू, सुनिता मरांडी, सुचिता हांसदा, सुखयमुनि सोरेन, अनीता मुर्मू, चांदमुनि मुर्मू, सुनिता बास्की और सुनिता हांसदा जैसे ढेर कलाकारों के अंदर की सोयी कला चेतना को जगा-जगाकर संजय कुमार ने जिले के आदिवासी क्षेत्रों में एक अभियान खड़ा कर दिया है |
बता दें कि जो भित्ति चित्रकला आदिवासियों के गांव में ही विलुप्त हो रही थी उसे संजय कुमार ने ग्लोबल चित्रकारी-कलाकारी की चौखट तक ले जाकर जोरदार धमाका देने की तैयारी में लगा है | उसी संजय कुमार के शिक्षक रह चुके डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने आशीर्वचन देते हुए बार-बार यही कहा कि आज जो संजय कुमार सूरज की तरह जल रहा है, वही कल सूरज की तरह चमकेगा और निश्चय ही पद्मश्री पुरस्कार का हकदार भी बनेगा…….. और ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा |
यह भी जानिए कि आदिवासी कला केन्द्र ग्वालपाड़ा के सौजन्य से भूपेन्द्र कला भवन मधेपुरा में रविवार को आयोजित कला-प्रदर्शनी का शुभारंभ करते हुए डीडीसी मिथिलेश कुमार, समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ.सीताराम यादव एवं प्रो.श्यामल किशोर यादव सहित किसान संसद के अध्यक्ष आद्यानंद , सचिव शंभू शरण भारतीय व रामदेव-आनंद आदि ने कलाकारों की कला को एक स्वर से प्रोत्साहित किया और भित्ति-चित्रकला की समृद्ध संस्कृति को रंगों से उकेरकर संजय कुमार द्वारा सहेजने के अथक प्रयास की भूरि-भूरि सराहना की |
जहाँ एक ओर डीडीसी मिथिलेश कुमार ने इस भित्ति चित्रकला केंद्र के लिए अलग से वेबसाइट तैयार कर मार्केटिंग को बढ़ावा देने की बात करते हुए यही कहा कि मिथिला, मधुबनी, वारली और मंजूषा आदि तमाम लोक कलाओं का जन्म भित्ति चित्रकला से हुआ है वहीँ शिक्षाविद समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने सदियों से चली आ रही भित्तिचित्र के बाबत यही कहा कि यह कला आत्मा से निकली सहज, सरल और सुंदर अभिव्यक्ति का प्रतीक है जिसके लिए अधिक साधन मुहैया कराने की जरूरत नहीं होती, लेकिन हाँ ! कला के संरक्षण के लिए सरकारी स्तर पर प्रोत्साहन और सामाजिक स्तर पर उत्साहवर्धन तो चाहिए ही चाहिए जिसकी घोर कमी नजर आती है |
जहाँ एक ओर प्रसिद्धि प्राप्त चिकित्सक डॉ.सीताराम यादव व प्राचार्य प्रो.श्यामल किशोर यादव ने भित्तिचित्र के जरिये ग्राम्य जीवन के रहन-सहन के चित्रों की सराहना की वहीं किसान संसद के आद्यानंद व एस.एस. भारतीय आदि ने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि यह कला ग्रामीण इलाकों से निकलकर देश की सीमा लांघते हुए अंतरराष्ट्रीय क्षितिज की ओर कदम बढ़ाने के लिए चल पड़ी है |
हाँ ! इस कला प्रदर्शनी के उद्घाटन कार्यक्रमों में आनेवाले डायनेमिक डीएम मो.सोहैल (भा.प्र.से.) एवं एसपी विकास कुमार (भा.पु.से.) अपरिहार्य कारणवश नहीं आ पाये | वहीं मौके पर प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के सचिव चंद्रिका यादव, कामरेड रामचंद्र दास, सुजीत कुमार सिंह के अतिरिक्त प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सदस्यगण अंत तक मौजूद रहे | काफी संख्या में पेंटिंग की बिक्री हुई | शेष सभी किसान संसद द्वारा क्रयकर ली गई | अंत में, सर्वश्रेष्ठ कलाकार रेखा टूडू की पेंटिंग की सराहना डॉ.मधेपुरी सहित डीडीसी मिथिलेश कुमार ने जमकर की |