पटना के चिडियाघर (संजय गांधी जैविक उद्यान) में बिना टेंडर के 90 लाख की मिट्टी भराई का मामला तूल पकड़ चुका है। मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने मामले की जांच के लिए संबंधित फाइल तलब की है। कहा जा रहा है कि आरोप की जांच के लिए राज्य सरकार कमेटी बना सकती है। ऐसे में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, हालांकि उन्होंने आरोप को निराधार बताते हुए सरकार से स्वयं जांच कराने का आग्रह किया था।
गौरतलब है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरजेडी सुप्रीमो के दोनों मंत्री बेटों पर पटना के एक निर्माणाधीन मॉल की मिट्टी पटना के चिड़ियाघर को ‘अवैध’ तरीके से बेचने का आरोप लगाया था। बताया जाता है कि उक्त मॉल बिहार का सबसे बड़ा मॉल है और जिस कंपनी द्वारा यह मॉल बनाया जा रहा है उसमें लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव, छोटे बेटे तेजस्वी यादव और एक बेटी चंदा यादव डायरेक्टर हैं।
आरजेडी सुप्रीमो ने इस पूरे मामले को सिरे से नकार दिया है। उन्होंने उल्टा यह दावा किया कि मिट्टी बेचना तो दूर उनका परिवार चिड़ियाघर को गाय का गोबर तक मुफ्त में देता है। उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने तो सख्त अंदाज में सुशील मोदी पर मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की बात कही है। ध्यान रहे कि तेज प्रताप नीतीश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के साथ-साथ वन एवं पर्यावरण मंत्री भी हैं। यह मामला इसी विभाग का है।
उधर संजय गांधी जैविक उद्यान के निदेशक नंद किशोर ने कहा कि वन विभाग में ठेके पर काम कराने की कोई प्रथा नहीं है। विभाग के कर्मचारियों के माध्यम से ही काम कराया जाता है। उन्होंने कहा कि चिड़ियाघर में मिट्टी की आवश्यकता थी, इसलिए यह काम एमएस इंटरप्राइजेज को दिया गया। वह कहां से मिट्टी ला रही है, इसकी जानकारी वन एवं पर्यावरण विभाग को नहीं है। उन्होंने दावा किया कि इस काम में नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है।
बहरहाल, इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुप हैं। अब जबकि मुख्य सचिव ने मामले की फाइल तलब की है, ये कयास लगाए जा रहे हैं कि अपने दामन को पाक-साफ बताने के लिए सरकार संभवत: इसकी जांच करा सकती है। अगर ऐसा होता है तो आने वाले दिनों में राज्य की सियासत और गरमाएगी, इसमें कोई दो राय नहीं।