Pranab Mukherjee-Ramnath Kovind-Nitish Kumar

प्रणब मुखर्जी पूरा करेंगे बिहार के लिए डॉ. कलाम का सपना

बिहार के लिए बड़े सौभाग्य सौभाग्य की बात है कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति मिसाईलमैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने यहां के प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुत्थान के लिए जो किया, कुछ वैसा ही वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी विक्रमशिला विश्वविद्यालय के लिए करने जा रहे हैं। आठवीं-नौवीं सदी के इस गौरवशाली विश्वविद्यालय का भग्नावशेष देखने भागलपुर के कहलगांव अंतीचक पहुंचे महामहिम ने कहा कि विक्रमशिला में ऊंचा से ऊंचा स्तरीय विश्वविद्यालय बनना चाहिए। ऐसी धरोहर को केवल म्यूजियम का शो पीस बनाने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात करेंगे।

President Pranab Mukherjee Visiting Vikramshila University Ruins
President Pranab Mukherjee Visiting Vikramshila University Ruins

विक्रमशिला के भग्नावशेषों का मुआयना कर अभिभूत दिख रहे राष्ट्रपति ने कहा कि एक जमाना था जब राजा और आमलोग बड़े-बड़े विश्वविद्यालय स्थापित करते थे। तीसरी सदी से तक्षशिला, चौथी सदी से नालंदा और आठवीं-नवीं सदी से विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने लोगों का मार्गदर्शन किया। शिक्षा, शोध और तंत्र को प्रोत्साहन दिया। यहां पढ़ने के लिए चीन, यूनान और मिस्र से छात्र, शिक्षक व शोधकर्ता आते थे। उन्होंने बताया कि जब वे कॉलेज और विश्वविद्यालय में पढ़ते थे उस समय से उनके मन में इन धरोहरों को देखने की इच्छा थी। विदेश मंत्री के रूप में जब वे पाकिस्तान गए थे तो उन्हें तक्षशिला को देखने का मौका मिला था। वहीं पर विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में नालंदा के पुनरुत्थान का प्रस्ताव सिंगापुर और चीन से आया, जिसे भारत सरकार ने मंजूर किया और नालंदा एक बार फिर जी उठा। अब विक्रमशिला की बारी है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में लोकसभा में विक्रमशिला में केन्द्रीय विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की थी और इसके लिए चार-पांच सौ करोड़ रुपए भी मंजूर किए थे। तेज धूप में विक्रमशिला भग्वानवेष परिसर के बाहर खड़े हजारों लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने इस बात का उल्लेख किया और इसके गौरव को वापस हासिल करने का भरोसा दिलाया।

अब आप ही बताएं, बिहार के लिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सपनों को पूरा होने और यहां के गौरवशाली अतीत को एक बार फिर करवट लेने से भला कौन रोकेगा! जब देश के प्रथम नागरिक स्वयं इसकी घोषणा कर रहे हों और इस घोषणा को अमलीजामा पहनाने के लिए केन्द्र में नरेन्द्र मोदी और राज्य में नीतीश कुमार जैसे सजग-सक्षम-सक्रिय प्रहरी हों!

चलते-चलते बता दें कि इस मौके पर बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद, केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी, गोड्डा (झारखंड) के सांसद निशिकांत दूबे, बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री शहनवाज हुसैन भी उपस्थित थे। इसके बाद भागलपुर से लौटकर दिल्ली जाने के क्रम में राज्यपाल रामनाथ कोविंद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महामहिम को पटना हवाई अड्डे पर विदाई दी।

‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप

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