इसे ‘वक्त’ का तकाजा कहें या राजनीति की विडंबना..! कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व रेल मंत्री सी.के. जाफर शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को राष्ट्रपति बनाने की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि संघप्रमुख भागवत की राष्ट्रभक्ति और संविधान के प्रति निष्ठा पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता है।
29 मार्च को लिखे अपने पत्र में शरीफ ने कहा, मैं व्यक्तिगत तौर पर महसूस करता हूं कि देश के राष्ट्रपति के तौर पर मोहन भागवत के नाम पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। भागवत के नाम का विरोध करके किसी को इस मुद्दा नहीं बनाना चाहिए क्योंकि संघ प्रमुख ऐसे देशभक्त हैं जो लोकतंत्र के प्रति वफादार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हर मुश्किल समय में राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को अच्छे से निभाता आया है।
गौरतलब है कि बीते दिनों शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी भागवत के नाम की वकालत की थी। राउत ने कहा था कि देश को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए संघ प्रमुख भागवत राष्ट्रपति पद के लिए अच्छी पसंद होंगे। राष्ट्रपति का पद देश में सर्वोच्च पद है। इस पद पर साफ छवि वाले किसी व्यक्ति को बैठना चाहिए। हालांकि, राउत ने कहा था कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के फैसले के बाद ही पार्टी भागवत के नाम पर सहमति दर्ज कराएगी।
बहरहाल, शिवसेना अगर भागवत की वकालत करे तो बात समझ में आती है, लेकिन सी.के. जाफर शरीफ का इस तरह का पत्र लिखना समझ के परे है। कहने की जरूरत नहीं कि उनका प्रस्ताव कांग्रेस की सोच और संस्कृति के एकदम उलट है। वैसे फौरी तौर पर शरीफ के इस कदम की दो व्याख्या हो सकती है – पहली यह कि वे कांग्रेस से ‘असंतुष्ट’ हैं और भाजपा से ‘कुछ’ पाने’ की चाहत रखते हैं और (एक प्रश्नचिह्न के साथ) दूसरी यह कि भाजपा और संघ को लेकर मुस्लिमों की राय बदल रही है या बदल सकती है और शरीफ का मोदी को पत्र लिखना उसी का अक्श है?
वैसे चलते-चलते बता दें कि संघप्रमुख खुद इस तरह की खबरों का खंडन करते हुए कह चुके हैं कि वह राष्ट्रपति नहीं बनना चाहते हैं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि अगर उनके सामने ऐसा प्रस्ताव आता भी है तो वह उसे स्वीकार नहीं करेंगे।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप