हाल ही में जहाँ एक ओर बिहार को ऊँचाई देने हेतु मधेपुरा के डायनेमिक डीएम मो.सोहैल (भा.प्र.से.) द्वारा नीतीश सरकार के निर्देशानुसार बिहार दिवस समारोह में यहाँ की गौरवगाथाओं को पुनर्जीवित करने का भरपूर प्रयास किया गया, वहीं दूसरी ओर कई बार बिहार के मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री रह चुके महान अर्थशास्त्री डॉ.जगन्नाथ मिश्र द्वारा बिहार दिवस पर ही संसद भवन में “मधुबनी : द आर्ट कैपिटल” पुस्तक की एक प्रति पीएम नरेंद्र मोदी को भेंट कर सूबे बिहार के गौरव को दुनिया के रंगमंच पर श्रेष्ठता प्रदान करने हेतु अदभुत प्रयास किया गया ।
यह भी बता दें कि बीस पुस्तकों के लेखक डॉ.मिश्र ने पीएम को दिए गये इस पुस्तक के माध्यम से बिहार के वैभव व विकास के साथ-साथ मिथलांचल की सभ्यता-संस्कृति, समृद्ध विरासत एवं वास्तुकला-चित्रकला सहित ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों के बारे में पूरी दुनिया के देशों को रू-ब-रू कराकर लोहा मनवाने का प्रशंसनीय प्रयास किया है । इसके लिए डॉ.मिश्र के प्रति जितनी भी कृतज्ञता ज्ञापित की जाय, वह कम ही होगी । भला क्यों नहीं, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने डॉ.मिश्र के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि हमारी संस्कृति काफी समृद्ध है और इसे इस रुप में संरक्षित करने का प्रयास प्रशंसनीय है ।
यह भी बता दें कि 1981 के 9 मई को तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में डॉ.जगन्नाथ मिश्र ने जहाँ मधेपुरा को (136 वर्षों तक अनुमंडल रहने के बाद) जिला बनाने की घोषणा स्थानीय रासबिहारी उच्च विद्यालय के मैदान में की थी वहीं उस भव्य समारोह की तैयारी की जिम्मेवारी तत्कालीन नगरपालिका उपाध्यक्ष डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी को सौंपी गई थी । तब से ही डॉ.मिश्र की व्यक्तिगत लाइब्रेरी में डॉ.मधेपुरी का यदाकदा आना-जाना लगा रहा है तथा स्वलिखित पुस्तकों का आदान-प्रदान भी होता रहा है ।
जहाँ एक ओर बिहारवासियों की पीड़ा से जुड़कर- भूमि सुधार व कृषि सुधार से लेकर आर्थिक विकास आदि पर दो दर्जन पुस्तकों के लेखक रहे हैं प्रखर अर्थशास्त्री डॉ.मिश्र, वहीं दूसरी ओर भौतिकी के यूनिवर्सिटी प्रोफेसर रहे डॉ.मधेपुरी ने बेस्ट सेलर बुक- “छोटा लक्ष्य एक अपराध है” के साथ-साथ भारतरत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम एवं समाजवादी चिंतक बी.एन.मंडल की विस्तृत जीवनी लिखकर देश के युवाओं एवं राजनीति के सिद्धहस्तों को सहज जीवन जीने का मार्गदर्शन भी किया है ।
और अन्त में दिल्ली से वापस होने के बाद “मधुबनी: द आर्ट कैपिटल” के लेखक डॉ.जगन्नाथ मिश्र को इस कृति के लिए डॉ.मधेपुरी ने चलभाष के माध्यम से कोटि-कोटि कृतज्ञता ज्ञापित की । चर्चा के क्रम में डॉ.मधेपुरी ने मधेपुरा अबतक को बताया कि इस पुस्तक के माध्यम से मिथिलांचल में पर्यटन की अपार संभावनाओं के द्वार खोले जा सकते हैं ।