Maurya-Yogi-Sharma

योगी को मिला यूपी, साथ में दो ‘डिप्टी’ भी

हवा में तैर रहे कई नामों को एक झटके में किनारे कर भाजपा आलाकमान ने ‘फायरब्रांड’ सांसद योगी आदित्यनाथ को यूपी की कमान सौंप दी। शनिवार को विधायक दल की बैठक में उन्हें औपचारिक तौर पर नेता चुन लिया गया। बतौर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के चयन के साथ ही यूपी भाजपा के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और लखनऊ के पूर्व मेयर दिनेश शर्मा के रूप में दो उपमुख्यमंत्री बनाने की घोषणा भी की गई। सत्ता के शीर्ष पर दो अगड़ों (योगी राजपूत हैं और शर्मा ब्राह्मण) के साथ एक पिछड़े (ओबीसी मौर्य) को आगे कर जातिगत समीकरण साधने की भी भरसक कोशिश की गई है।

उत्तराखंड में त्रिवेन्द्र सिंह रावत के रूप में राजपूत चेहरा चुनने के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि यूपी में गैर सवर्ण सीएम चुना जाएगा। इस लिहाज से केशव प्रसाद मौर्य रेस में आगे निकलते दिख रहे थे, लेकिन यूपी में हिन्दुत्ववादी राजनीति का चेहरा होना योगी आदित्यनाथ के पक्ष में गया। पार्टी आलाकमान ने शनिवार सुबह अचानक योगी को दिल्ली बुला लिया। इसके बाद राज्य भर में ये ख़बर फैलते देर न लगी कि योगी ही प्रदेश के मुखिया होने जा रहे हैं।

गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ का मूल नाम अजय सिंह है। उनका जन्म 5 जून 1972 को वर्तमान उत्तराखंड के गढ़वाल में हुआ था। उन्होंने 22 साल की उम्र में संन्यास लिया और 26 साल की उम्र में गोरखपुर से सांसद बने। 1998 से 2014 के बीच वे इस सीट से लगातार पांच बार लोकसभा पहुंचे। लव जिहाद और धर्मांतरण जैसे मुद्दों से चर्चा में रहने वाले गोरखपुर मंदिर के महंत योगी का पूर्वांचल में अच्छा प्रभाव माना जाता है। इसके अतिरिक्त भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व में पहुंच का भी उन्हें लाभ मिला।

अब बात करें केशव प्रसाद मौर्य की। 7 मई 1969 को कौशांबी जिले में जन्मे मौर्य वर्तमान में फूलपुर से सांसद हैं। विश्व हिन्दू परिषद के दिवंगत नेता अशोक सिंघल के करीबी रहे मौर्य ने एक समय चाय और अखबार भी बेचा है। कार्यकर्ताओं में उनकी अच्छी पहुंच मानी जाती है और संघ से उनके अच्छे रिश्ते हैं। उन्हें जातिगत समीकरणों और प्रमुख पिछड़ा चेहरा होने का अतिरिक्त लाभ भी मिला। इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि उनके नेतृत्व में ही पार्टी ने यूपी की सत्ता में वापसी की है।

दूसरे उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा का जन्म 12 फरवरी 1964 को हुआ था। वे लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। 2008 और 2012 में वे लखनऊ के मेयर रहे। 2014 में उऩ्हें भाजपा का राष्ट्रीय सदस्यता प्रभारी बनाया गया। भाजपा सदस्यों की संख्या 1 करोड़ से 11 करोड़ तक पहुंचाने में उनका बड़ा योगदान माना जाता है। उनकी छवि साफ-सुथरी और मिलनसार है और नरेन्द्र मोदी व अमित शाह दोनों के वे करीबी माने जाते हैं। संघ से भी उनका जुड़ाव रहा है और पार्टी के ब्राह्मण चेहरे तो वो हैं ही।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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