यूपी में भाजपा की अभूतपूर्व जीत के बाद मोदी एक बार फिर सबको चौंका सकते हैं, और इस बार मुख्यमंत्री के रूप में अप्रत्याशित चेहरा सामने लाकर। वैसे संभावित मुख्यमंत्री के तौर पर अभी कई नाम हवा में हैं, जिनमें गृहमंत्री राजनाथ सिंह, यूपी भाजपा के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य, गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ और रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा के नाम प्रमुख हैं। लेकिन इन नामों में अचानक एक नया नाम जुड़ गया है, और वो नाम है सतीश महाना का। महाना को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का करीबी बताया जाता है।
बता दें कि इस बीच कोयंबटूर में आरएसएस की बैठक हो रही है जिसमें यूपी के अगले सीएम पर चर्चा हो सकती है। बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत तमाम वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। ख़बरों के मुताबिक भाजपा सीएम का चेहरा वहां के परिणाम की तरह ही चौंकाने वाला हो सकता है। सूत्र ये भी बताते हैं कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व यूपी के लिए दो डिप्टी सीएम के फॉर्मूले पर भी चर्चा कर रहा है ताकि अधिक-से-अधिक लोगों और वर्गों को ‘संतुष्ट’ किया जा सके।
बहरहाल, बात करते हैं अचानक रेस में आए और फिलहाल सबसे आगे दिख रहे सतीश महाना की। सरकार बनने पर उनका मंत्री बनना वैसे भी तय माना जा रहा था। लेकिन अब उनका नाम संभावित मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार के तौर पर सामने आ रहा है। कानपुर की महाराजगंज से चुने गए महाना 1991 से लगातार छठी बार विधायक बने हैं। इस बार उन्होंने रिकॉर्ड 56 प्रतिशत वोट हासिल कर बसपा के मनोज शुक्ला को 91,826 वोटों के बड़े अंतर से हराया है। 14 अक्टूबर 1960 को जन्मे महाना कानपुर में खासे मशहूर हैं। खासकर वहां के छोटे दुकानदारों में वे काफी लोकप्रिय हैं। बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान मुरली मनोहर जोशी को टिकट नहीं मिलने पर उनको टिकट मिलना और जीतना तय माना जा रहा था। महाना की सक्रियता सोशल मीडिया पर भी देखी जा सकती है। चुनाव के दिनों में उनकी हर गतिविधि अपलोड होती थी।
ख़बरों के मुताबिक महाना संघ के दिनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ काम कर चुके हैं और यह बात उनके पक्ष में जा रही है। भाजपा संसदीय दल की बैठक के दौरान मोदी ने कहा था कि कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो लाइम लाइट में नहीं रहते, लेकिन काम अच्छा करते हैं। प्रधानमंत्री के इस बयान को महाना से जोड़कर देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक रविवार को महाना को अचानक दिल्ली बुलाया गया था। यह भी गौरतलब है कि पंजाबी होने के कारण वे वित्तमंत्री अरुण जेटली के भी करीबी हैं और जोशी के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा है। ये बातें भी उनकी दावेदारी को मजबूत करती हैं।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप