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मुख्यमंत्री की लड़ाई में कूदें पर अपना कद न भूलें प्रधानमंत्रीजी!

बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश में हो रहे चुनाव के सातवें चरण का प्रचार खत्म होने से पहले भाजपा और मोदी-शाह की जोड़ी पर जमकर हमला बोला है। खासकर काशी में प्रधानमंत्री के रोड-शो पर उन्हें आड़े हाथों लेते हुए मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अब अपनी पार्टी की तरफ से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के अघोषित दावेदार बन गए हैं। बकौल मायावती प्रधानमंत्री ने इस हद तक प्रचार में उतर कर लोकतांत्रिक मर्यादाओं को तोड़ने का काम किया है।

बहरहाल, मायावती का दावा है कि बसपा को छठे चरण के चुनावों के बाद ही बहुमत मिल चुका है। उनकी मानें तो भाजपा और सपा-कांग्रेस गठबंधन में अब दूसरे-तीसरे स्थान की लड़ाई है। मायावती ने कहा कि भाजपा को पता था कि उनकी सरकार नहीं बनने जा रही है, इसलिए नोटबंदी का फैसला कर धन बटोरने में जुट गए। भाजपा को ही नहीं बल्कि सपा-कांग्रेस गठबंधन को भी पता चल चुका है कि वे चुनाव हार चुके हैं।

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि भाजपा यूपी चुनाव को 2019 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर देख रही थी। वो इसे लोकसभा का मुद्दा बनाकर पूरे देश में ले जाने का मंसूबा बांध रही थी, जो पूरा नहीं होने जा रहा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को प्रधानमंत्री मोदी का चेला बताते हुए उन्होंने कहा कि गुरु-चेले ने मिलकर इस चुनाव को साम्प्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की, जो सफल नहीं हो पाई।

अब जबकि ‘हमाम’ में बड़े-छोटे सारे दल और सारे बड़े-छोटे नेता नि:संकोच ‘नंगे’ हैं और सबकी भाषा, शैली और अभिव्यक्ति एक-सी हो चली है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन किस पर कितना ‘कीचड़’ उछाल रहा है। इसीलिए मायावती ने प्रतिद्वंद्वी दलों को लेकर जो दावे किए हैं या उन पर जो आरोप लगाए हैं उसको बहुत तवज्जो देने की जरूरत नहीं। लेकिन हां, प्रधानमंत्री मोदी (भाजपा के नेता मोदी नहीं) को लेकर उन्होंने जो कुछ कहा है उस पर गंभीर मंथन जरूर होना चाहिए।

देखा जाय तो नरेन्द्र मोदी यूपी चुनाव में ठीक उसी अंदाज में कूदे हैं जैसे बिहार चुनाव में कूदे थे। बिहार में उन्होंने वैसी ‘शालीनता’ और ‘संयम’ का परिचय नहीं दिया था, जो उन जैसे कद के प्रधानमंत्री से अपेक्षित था। बिहार में उन्होंने रैलियों की झड़ी लगा दी थी, यूपी में भी उन्होंने यही किया। वहां वे जिले-जिले तो पहुंचे ही, दो कदम आगे बढ़कर गली-कूचे तक जाने पर आमादा हो गए। राहुल, अखिलेश और मायावती से वे उन्हीं के तौर-तरीके और उन्हीं की कद-काठी में लड़ते दिखे जो सर्वथा अशोभनीय था। आज अगर मायावती उन्हें मुख्यमंत्री पद का अघोषित उम्मीदवार बताने पर उतर आई हैं तो इसके कारण वे स्वयं हैं। अगर अपने कद का भान आप स्वयं न रखें तो लोग आपके जूते में अपने पांव घुसेरेंगे और आप कुछ नहीं कर पाएंगे, प्रधानमंत्रीजी!

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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