Shri Ram Katha at Singheshwar Asthan Madhepura

सिंहेश्वर में त्रिदिवसीय श्री राम कथा का भव्य आयोजन

ऋष्य श्रृंग की पावन धरती पर एक ओर स्थानीय राम जानकी हनुमान ठाकुरबाड़ी में द्विदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में डायनेमिक डी.एम. मो.सोहैल द्वारा विद्वानों, शिक्षाविदों एवं कुलपतियों के बीच धर्म एवं दर्शन के बाबत यह कहा जाता है कि- किसी भी संप्रदाय के लोग क्यों न हो, उसके अंदर बैठी जीवात्मा हमेशा उसे सही सलाह देती है, सत्य से रू-ब-रू कराती है…… सत्य के रास्ते पर चलने के लिए आवाज देती है….. आत्मा की उसी “आवाज” को अनुसरण करना धर्म है……. तथा उसकी विस्तृत व्याख्या ‘दर्शन’ है |

वहीं दूसरी ओर महाशिवरात्रि के अवसर पर मवेशी हाट में त्रिदिवसीय सिंहेश्वर महोत्सव के भव्य समापन के साथ ही उसी स्थल पर त्रिदिवसीय (3-5 मार्च) संगीतमय श्रीराम कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है | सिंहेश्वर की गतिविधियों में सदा सहयोग करते रहने वाले हरिप्रसाद टेकरीवाल, विजय कुमार सिंह, मदन मोहन सिंह, जय प्रकाश यादव, महानंद झा, मनोज सिंह, यदुनंदन यादव, अमन सिंह, मुखिया जी पप्पुजी आदि द्वारा दीप प्रज्वलित कर आचार्य श्री सुदर्शन जी महाराज के संगीतमय श्रीराम कथा का विधिवत उद्घाटन किया गया |

बता दें कि रसमय एवं संगीतमय भक्तिकथा में आचार्यश्री सुदर्शन ने श्रीराम के मर्यादित चरित्र को वर्णन करते हुए भारत के गौरवोज्जवल अतीत की विस्तार से चर्चा की और कहा कि यदि राम जैसा बेटा चाहते हो तो पति-पत्नी को दशरथ और कौशल्या जैसा बनना होगा |

अपने संबोधन में आचार्यश्री ने कहा कि भक्ति के लिए धन-संपत्ति की कोई जरूरत नहीं होती है | भक्ति तो भाव से होती है | उसी भक्ति में अथाह शक्ति होती है | उन्होंने श्रद्धालुओं को सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की सलाह दी तथा अपनी दृष्टि और सोच बदलने की बात कही |

अंत तक आचार्यश्री सुदर्शन जी महाराज ने श्रद्धावनत श्रोताओं से यही कहा कि परिवार में आपसी प्रेम एवं भाईचारा बढ़ाने के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करना ही होगा | बीच-बीच में ‘आचार्यश्री’ ने राम भक्तों को श्रीराम पर आधारित भक्ति संगीत में डुबोने का काम किया |

समाप्ति पर आयोजक मंडली के सदस्य द्वय विजय कुमार व विपिन कुमार ने भक्तों को यह बताया कि शेष 2 दिनों यानी शनिवार व रविवार को आचार्यश्री अपराहन 3:00 बजे से संध्या 6:00 बजे तक प्रवचन देंगे |

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