जी हां, नोटबंदी के बाद भी भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा 28 फरवरी को जारी तीसरी तिमाही और पूरे वर्ष के अग्रिम अनुमान की मानें तो नोटबंदी की वजह से आर्थिक गतिविधियों के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंकाएं दरकिनार हो गई हैं। सीएसओ के अनुसार चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रही है, जबकि पूरे वर्ष की वृद्धि का दूसरा अग्रिम अनुमान भी 7.1 प्रतिशत पर पूर्ववत रहा है। बता दें कि इससे पहले जनवरी में नोटबंदी के प्रभाव को शामिल किए बिना जारी पहले अग्रिम अनुमान में भी पूरे वर्ष की वृद्धि का यही आंकड़ा जारी किया गया था।
नोटबंदी के बाद आए जीडीपी के इन आंकड़ों से उत्साहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे विरोधियों के दुष्प्रचार का करारा जवाब बताया है। यूपी की एक चुनावी रैली में उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद विपक्ष के लोगों ने आर्थिक विकास चौपट होने, उद्योग-धंधे बंद होने और देश के पूरी तरह पिछड़ने का दुष्प्रचार किया था। नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड के बड़े-बड़े विद्वानों ने नोटबंदी के कारण जीडीपी में दो से चार प्रतिशत गिरावट का दावा किया था लेकिन जीडीपी के ताजा आंकड़ों ने साबित कर दिया है कि ‘हार्वर्ड’ और ‘हार्ड’ वर्क में कितना फर्क है। उन्होंने कहा कि देश के ईमानदार लोगों, किसानों और नौजवानों ने जीडीपी में सुधार के जरिए ‘हार्वर्ड’ और ‘हार्ड वर्क’ वालों की सोच के बीच फर्क जाहिर कर दिया है।
कांग्रेस द्वारा इन आंकड़ों को भ्रामक और संदेहास्पद बताए जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि वे कह रहे हैं कि आंकड़े कहां से आए। मैं कहता हूं कि जो आंकड़े आपकी सरकार में जहां से आते थे, इस बार भी वहीं से आए हैं। देश के ईमानदार लोगों, किसानों और नौजवानों मैं सिर झुकाकर नमन करना चाहता हूं जिन्होंने देश की विकास-यात्रा को कोई आंच नहीं आने दी। उधर वित्तमंत्री अरुण जेटली का कहना है कि अंदाजे से बोलना एक बात है और वास्तविकता दूसरी। मैं पहले भी कह रहा था कि एक्साइज, वैट और कर संग्रह के आंकड़े बता रहे हैं कि अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का बुरा असर नहीं पड़ा है।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप