Bihar Budget 2017-18

बिहार के नए बजट में न कोई नया कर, न नोटबंदी का असर

बिहार की महागठबंधन सरकार का दूसरा बजट कई लुभावनी बातों के लिए याद रखा जाएगा, बशर्ते कि उन्हें अमलीजामा पहना दिया जाए। गौरतलब है कि शराबबंदी और नोटबंदी के बाद ये पहला बजट था। इस कारण हर आम और खास की नज़र इस बजट पर थी। बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए पेश किए गए इस बजट में पहली बार डेढ़ लाख करोड़ से अधिक (1 लाख 60 हजार करोड़) पूंजीगत व्यय का अनुमान है। बजट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय, पिछड़ों के कल्याण और कैशलेस टैक्स कलेक्शन पर खास जोर दिया गया है। सबसे अहम ये कि नए बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया है।

वित्तमंत्री ने अपने 22 मिनट के अतिसंक्षिप्त भाषण में कहा कि नोटबंदी का बिहार पर कोई असर नहीं पड़ने देंगे। नोटबंदी के बाद के झंझावातों से उबरने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बिहार में बैंकों की संख्या बढ़ाई जाएगी। खाताधारियों को प्लास्टिक मनी देने पर जोर दिया जाएगा। अभियान चलाकर पीओएस मशीनें लगाई जाएंगी और कर की चोरी रोकने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

वैसे देखा जाय तो कुल मिलाकर बजट मुख्यमंत्री के सात निश्चय कार्यक्रम पर केन्द्रित रहा। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क और कृषि समेत सात निश्चय कार्यक्रम के तहत होने वाले कार्यों को प्राथमिकता दी गई है। कुल बजट के विभागवार व्यय प्रतिशत की बात करें तो शिक्षा के मद में सर्वाधिक 17.93% व्यय होना है। शिक्षा के बाद ग्रामीण विकास हेतु 12.26% और ग्रामीण कार्य के लिए 10.74% बजट का प्रावधान किया गया है। अन्य विभागों की बात करें तो ऊर्जा के मद में 8.57%, पथ-निर्माण के मद में 7.19%, समाज-कल्याण के मद में 6.18%,  स्वास्थ्य के मद में 4.50%, जल संसाधन के मद में 3.57%, नगर विकास एवं आवास के मद में 3.45%, पंचायती राज के मद में 3.26%, कृषि के मद में 2.95% और योजना एवं विकास के मद में 2.66% बजट का प्रावधान किया गया है।

वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए प्राथमिकता के आधार पर आवास की व्यवस्था और कार्यरत सेवानिवृत कर्मचारियों के लिए प्रभावशाली स्वास्थ्य योजना लागू करने की बात कही। उन्होंने महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर खास फोकस करने और बुनकरों की स्थिति बेहतर करने  के लिए उनके कौशल विकास की बात भी कही।

गौरतलब है कि बिहार का पिछले वित्तीय वर्ष का बजट 1,44,696.27 करोड़ रुपए का था। इस तरह पिछले साल के मुकाबले इस साल का बजट लगभग 15 हजार करोड़ अधिक का है। यह भी जानें कि इस वित्तीय वर्ष में 18,112 करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटा रहने का अनुमान है जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद (6,32,180 करोड़ रुपए) के मुकाबले 2.87% है।

बकौल सिद्दीकी केन्द्र सरकार की प्रतिकूल नीतियों जैसे विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने, फंड शेयरिंग का पैटर्न बदल देने, विशेष पैकेज नहीं देने और नोटबंदी के झंझावात के बावजूद राज्य सरकार का उत्साह बना रहा है। उन्होंने कहा कि हम चांद और सूरज की बात नहीं करते, दीये की बात करते हैं, यह आम आदमी के जुझारूपन का प्रतीक है।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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