अब जबकि यूपी चुनाव अपने चरम पर है, छोटे-बड़े सारे नेता अपनी जुबान पर नियंत्रण खोते दिख रहे हैं। यहाँ तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के भाषणों में भी इन दिनों ‘हल्कापन’ आ गया है। कई अवसरों पर उनकी भाषा में भी अपेक्षित गरिमा का अभाव दिख जाता है। ऐसे में सपा नेता आजम खान के तो कहने ही क्या। विवादास्पद भाषणों और बयानों से तो उनका चोली-दामन का साथ रहा है। अब बीते शुक्रवार का ही वाकया लीजिए, सपा के इस कद्दावर नेता ने हजारों की भीड़ में कुछ ऐसा कह दिया जो न केवल हमें चौंकाता है बल्कि राजनीति में ‘विवेक’ और ‘मर्यादा’ के गिरते स्तर को लेकर चिंतित भी करता है।
हुआ यूं कि यूपी चुनावों के मद्देनज़र इलाहाबाद में रैली कर रहे आजम खान मुसलमानों की बदहाली पर बात करते हुए बोल पड़े कि मुसलमान ज्यादा बच्चे इसलिए पैदा करते हैं क्योंकि उनके पास करने को कोई और काम ही नहीं है। मुसलमानों की बेरोजगारी पर ‘फिक्रमंद’ आजम का कहना था कि बादशाह (मोदी) अगर काम देता तो मुसलमान कम बच्चे पैदा करता। हमारे यहां (मुसलमानों की) आबादी ज्यादा हो जाती है और काम कम है, इसलिए बच्चे ज्यादा पैदा हो जाते हैं। मुसलमान खाली बैठेगा तो बच्चे ही पैदा करेगा। हिन्दू ज्यादा बच्चे पैदा नहीं करते हैं क्योंकि उनके पास रोजगार है।
आजम खान यहीं नहीं रुके। मोदी पर तंज कसने पर आमादा आजम ने आगे कहा कि अपने दो साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री ने 80 करोड़ रुपए के कपड़े पहने। वह खुद को फकीर कहते हैं लेकिन फकीर इतने महंगे कपड़े नहीं पहनता। जिस देश का प्रधानमंत्री इतने महंगे कपड़े पहनेगा वह देश कैसा होगा।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के 15 लाख वाले बयान को जुमला बताने पर निशाना साधते हुए आजम खान ने कहा कि बादशाह ने हसीन ख्वाब दिखाया, लफ्फाजी की और बड़े सिर वाले (अमित शाह) ने कहा कि बादशाह ने मजाक किया था। यही नहीं, आजम ने लगे हाथ दावा भी किया कि एक बार हमें गद्दी देकर देखो, हम सबको 15 की जगह 25-25 लाख रुपए देंगे। देश आज भी सोने की चिड़िया है, यहाँ पैसे की कमी नहीं है। 25-25 लाख देकर भी देश सोने की चिड़िया बना रहेगा।
अब भला ये आजम खान से कौन पूछे कि 25-25 लाख वो किस ‘खजाने’ से देंगे? मोदी ने 80 करोड़ के कपड़े पहने, ये हिसाब उन्हें किसने बताया? और, ये भी कि क्या मुसलमानों की आबादी मौजूदा बादशाह (मोदी) के महज दो साल में ही इस कदर बेलगाम हो गई? आजमजी, मुसलमानों का नेता होना अच्छी बात है। आप मोदी को नापसंद करते हैं, जरूर करें, किसी को अधिकार नहीं कि आपको ऐसा करने से रोके। आप मुसलमानों के लिए फिक्रमंद हैं, इसमें भी कोई दो राय नहीं। लेकिन भोले-भाले लोगों को बरगलाएं नहीं। किसी का विरोध करना हो तो करें, लेकिन तर्क पर तौलकर। विवेक और मर्यादा को ताक पर रखकर नहीं।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप